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दिव्यकुंभ में राष्ट्रीय परशुराम परिषद महाशिविर का समापन, अधिकारी और कार्यकर्ताओं का सम्मान

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कुंभनगर (राजेश शुक्ल/राजेश सिंह)। प्रयागराज दिव्यकुम्भ में राष्ट्रीय परशुराम परिषद महाशिविर समापन एवं शिविर व्यवस्था पदाधिकारी, कार्यकर्ता सम्मान समारोह अवसर पर परिषद के संस्थापक पूर्व राज्यमंत्री सुनील भराला ने अपने सम्बोधन में कहा कि 8 दिसंबर 2024 को भूमि पूजन के उपरांत 2 लाख स्क्वायर फीट में महाशिविर की स्थापना की गयी। 

महाशिविर में श्री परशुराम धाम, ऋषि जमदग्नि धाम, मां रेणुका धाम एवं सप्तऋषि धाम के रूप में शिविर के 4 भागों में 4 धाम की स्थापना की गई। महाशिविर में 1800 लोगों के विश्राम व्यवस्था के साथ 90 कक्ष बनाए गए। इन सभी कक्षों के नाम ऋषियों एवं महापुरुषों के नाम पर हुए, जोकि प्रत्येक कक्ष मे उनके सामने अंकित किये गये।

समस्त प्रदेशों के कैंप कार्यालय हेतु केन्द्रीय कार्यालय भी बनाया गया जिसमें स्वागत कक्ष, अतिथि कक्ष, मिडिया कक्ष और वार रूम ( बैठक कक्ष) २ प्रसादम निर्मित किये, 125 शौचालय निर्मित किये गये हैं। पंद्रह स्नानागार एवं पंद्रह मूत्रालय तथा अस्सी कॉटेज में अटैच बाथरूम बनाए गए तथा दो सुरक्षाकर्मी कक्ष बनाए गए। महाशिविर के परिसर मे ही 51 फुट भगवान श्री परशुराम जी की मूर्ति स्थापित की गई जिसमें लगभग 4 करोड़ श्रद्धालुओं द्वारा सेल्फी लेकर रिकार्ड बनाया गया। 

महाशिविर में 45 दिनों तक अनवरत हरी परशुराम महायज्ञ चला जिसमें 1 करोड़ 8 हजार आहुतियां हुई,  लगभग 2 दर्जन देश के श्रद्धालुओं ने अपनी आहुतियां देकर श्री परशुराम महायज्ञ का आशीर्वाद प्राप्त किया।

भगवान श्री परशुराम जी के जीवन संस्करण पर आधारित भगवान परशुराम आर्ट गैलरी में भगवान परशुराम जी के बाल्यकाल से लेकर युद्धकाल तक चीजों को उल्लेखित किया गया तथा  महत्वपूर्ण घटनाओं और 21 युद्धभूमियों का चित्रण किया गया। 

मुख्य अतिथि के रूप मे आचार्य राधा कृष्णमनोडी जी, केन्द्रीय मंत्री विश्व हिन्दू परिषद ने अपने सम्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय परशुराम परिषद भारत का ही नहीं अपितु राष्ट्र का संगठन हो गया जिसका श्रेय संस्थापक प. सुनील भराला जी को जाता है। समाज के सभी वर्गों को एकता के सूत्र में राष्ट्रीय परशुराम परिषद ही पिरोएगी। भगवान श्री राम जी को भगवान की प्रतिष्ठा भगवान परशुराम जी ने दिलाई। अगर वह प्रथम बार पूजन कर भगवान न कहते तो भगवान की जानकारी किसी को न होती। 

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