नई दिल्ली। कूटनीति की दुनिया में कई विशेषज्ञ फ्रांस को भारत के नये रूसी मित्र के तौर पर चिन्हित करते हैं। यह बात पिछले 36 घंटों के दौरान फ्रांस की राजधानी पेरिस और एतिहासिक शहर मार्सेली में साबित हुई है। पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भारत व फ्रांस के रणनीतिक रिश्तों को नये आयाम देने वाला एजेंडा सेट किया है। दोनों देशों ने परमाणु ऊर्जा और आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस (एआई) के क्षेत्र में आपसी सहयोग का रोडमैप तैयार किया है, जिसके तहत इन दोनों क्षेत्रों में डिजाइन से लेकर उनका उत्पादन करने का काम किया जाएगा। इस संदर्भ में अलग-अलग क्षेत्रों में दस अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इसमें परमाणु ऊर्जा बनाने वाले स्मार्ट मॉड्यूलर रिएक्टर्स और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर्स को साझा तौर पर विकसित किया जाएगा और इन्हें दूसरे देशों को बेचा जाएगा।
पीएम मोदी और मैक्रों हिंद प्रशांत क्षेत्र में करेंगे आपसी सहयोग
हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग का विस्तार कर दिया है। भारत व फ्रांस साथ मिलकर इस क्षेत्र के दूसरे देशों को पीएम मोदी दो दिवसीय यात्रा पर एक दिन पहले पेरिस पहुंचे थे। पहले दिन उन्होंने एआई एक्शन समिट में हिस्सा लिया था। दूसरे दिन मोदी और मैक्रों एक ही विमान से पेरिस से मार्सेली शहर पहुंचे जो इनके बीच के समीकरण को दर्शाता है। मार्सेली में दोनों नेताओं ने भारत के नये कंसुलेट का उद्घाटन किया। इसके पहले दोनों नेताओं ने साथ साथ इंडिया और फ्रांस के कारोबारियों से मुलाकात की थी और एआई एक्शन समिट की साथ मिल कर अध्यक्षता की थी। मोदी ने मैक्रों के साथ मजरगेज युद्ध स्मारक का दौरा किया जहां पहले व दूसरे विश्व युद्ध में मारे गये भारतीय मूल के सैनिकों को भारतीय पीएम ने श्रद्धांजलि दी।
बंदरगाह की यात्रा पर भी गए मैक्रों और पीएम मोदी
इसके बाद मार्सेली में दोनों नेता वहां के बंदरगाह की यात्रा की। मार्सेली पोर्ट की अहमियत यह है कि इसकी भारत-मध्यपूर्व-यूरोप कारीडोर (आइएमईईसी) को भारतीय बाजार को यूरोपीय बाजार से जोड़ने में सबसे अहम भूमिका होगी। मोदी और मैक्रों ने एक साथ फिर कैडेर्शे स्थित अंतरराष्ट्रीय थर्माेन्यूक्लियर एक्सपीरेंटल रिएक्टर (आइटीईआर) का दौरा किया। यह फ्यूजन इनर्जी प्रौद्योगिकी में दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण संस्थान है और पहली बार पीएम मोदी के तौर पर किसी देश के प्रमुख ने इसका दौरा किया है। भारत भी सात देशों के साथ आइटीईआर का सदस्य है और यहां करीब 200 भारतीय वैज्ञानिक व सहायक कार्यरत हैं।
परमाणु एनर्जी से अंतरिक्ष के क्षेत्र तक हुई चर्चा
मोदी और मैक्रों के बीच हुई वार्ता के बारे में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि इसमें रणनीतिक सहयोग के हर क्षेत्र जैसे परमाणु ऊर्जा, रक्षा और अंतरिक्ष को लेकर बात हुई है। भविष्य में प्रौद्योगिकी व अन्वेषण पर रिश्तों को लेकर खास तौर पर जोर दिया जाएगा। एआई को लेकर अलग से एक घोषणा की गई है जिसमें कहा गया है रक्षित व विश्वसनीय एआई व्यवस्था को स्थापित करने और इसके लिए आम जनतों के हितों के मुताबिक, मानवाधिकारों का आदर करने वाला और सार्वभौमिक तौर पर स्वतंत्रत एआइ को विकसित किया जाएगा। उपयुक्त गुणों वाले एआइ ढांचे की सोच से लेकर उसकी डिजाइन व विकास तक का काम दोनों देश साझा तौर पर करेंगे। इस बारे में जारी घोषणापत्र में कहा गया है कि दोनों देशों की तरफ से विकसित एआई किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगा, ना गलत सूचना का प्रसार करेगा और ना ही पक्षपातपूर्ण होगा। यह वैश्विक हितों के लिए काम करेगा और सभी की मदद करेगा।
संयुक्त घोषणा पत्र से अमेरिका और चीन को संदेश
इस संयुक्त घोषणा-पत्र को भारत व फ्रांस की तरफ से चीन और अमेरिका को संदेश देने की कोशिश है। जिस तरह से एआई में इन दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा की शुरुआत हुई है, उसमें भारत व फ्रांस के नेताओं ने आगे आकर वैश्विक स्तर पर एआई के पारदर्शी इस्तेमाल व इस प्रौद्योगिकी का फायदा अमीर-गरीब सभी देशों को पहुंचाने की बात सामने रखने में अगुवाई प्रदान की है। अगला एआइ एक्शन सम्मेलन भारत में कराने पर बात हो रही है।