प्रयागराज (राजेश शुक्ल)। हिंदू कलैंडर के अनुसार, माघ माह में वसंत पंचमी जैसे कई पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व आते हैं। वसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती की आराधना के लिए समर्पित है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और खुशियां बढ़ती हैं। वसंत पंचमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शिक्षा से जुड़े संस्थानों, घरों और मंदिरों में मां सरस्वती की पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं वसंत पंचमी के दिन का क्या महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। हर वर्ष इसी उपलक्ष्य में वसंत पंचमी मनाई जाती है। देवी सरस्वती को कला, विद्या और बुद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है। इस दिन की पूजा-अर्चना से ज्ञान, कला और संगीत का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही यह पर्व नई फसल और प्रकृति के बदलाव का उत्सव भी है। इस मौसम में सरसों के पीले फूल, आम के पेड़ों पर नई बौर, और गुलाबी ठंड पूरे वातावरण को आनंदमय बना देती है। यह समय न केवल मनुष्य बल्कि पशु-पक्षियों में भी नई ऊर्जा का संचार करता है।
वसंत पंचमी को मानते हैं शुभ दिन
कई लोग वसंत पंचमी के दिन अपने नए काम की भी शुरुआत करते हैं। कुछ लोग इस दिन बच्चों का अक्षरारंभ करवाते हैं। यह माना जाता है कि इस दिन की गई शुरुआत बहुत शुभ होती है। इस दिन पीले रंग का खास महत्व है। पीला रंग ज्ञान और खुशी का प्रतीक है। इसलिए लोग पीले कपड़े पहनते हैं और पीले रंग के पकवान बनाते हैं।
बच्चों के लिए है मस्ती का दिन
बसंत पंचमी के दिन कई जगहों पर मेलों का आयोजन भी किया जाता है। जहाँ लोग जाकर खरीदारी करने के साथ झूला भी झूलते हैं। बच्चों के लिए यह दिन बहुत खास इसलिए भी होता है क्योंकि वे नए कपड़े पहनते हैं और पतंग उड़ाते हैं। मिठाइयां खाते हैं और खूब मस्ती-मजाक करते हैं।
संगीत, कला और ज्ञान की प्रेरणा
यह त्योहार हमें प्रकृति से प्यार करना सिखाता है और कला व संगीत से जुड़ने की प्रेरणा देता है। यह हमें सबके साथ खुशियां बांटने का भी दिन है। आइए, इस बसंत पंचमी पर प्रकृति के नए जीवन का जश्न मनाते हुए ज्ञान की शक्ति का सम्मान करें।
आज से कल तक मनाया जायेगा यह पर्व
इस बार बसंत पंचमी 2 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। 3 फरवरी को सूर्याेदय का स्पर्श होते ही पंचमी तिथि समाप्त हो रही है जिससे माघ शुक्ल पंचमी तिथि का क्षय भी माना जा रहा है। इसलिए शास्त्र सम्मत विधान के अनुसार 2 फरवरी को दोपहर के समय माघ शुक्ल पंचमी तिथि व्याप्त होने से बसंत पंचमी मनाई जाएगी। 2 फरवरी को बसंत पंचमी त्रिमुहूर्त व्यापिनी होने से 2 फरवरी को बसंत पंचमी मनाई जाएगी।