वृंदावन। रंगभरनी एकादशी पर सोमवार को जब आराध्य बांकेबिहारी मंदिर के जगमोहन में चांदी के सिंहासन पर बैठ भक्तों संग सोने की पिचकारी से होली खेलेंगे, तो इससे पहले सेवायत ठाकुरजी को केसर कीच, चोबा-चंदन और अरगजा अर्पित करेंगे। प्राचीनकाल से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए सेवायत ठाकुरजी का प्रतिनिधित्व करते हुए भक्तों पर रंगों की बरसात करेंगे, तो भक्त आराध्य के प्रसादी रंग की एक-एक बूंद में सराबोर होने को उत्साहित नजर आएंगे। बांकेबिहारी मंदिर में पांच दिवसीय होली का आगाज फूलों की होली से रंगभरनी एकादशी पर होगा। इस बार आराध्य की पिचकारी से टेसू के रंगों संग इत्र-केसर, गुलाबजल की भी बरसात होगी, जो भक्तों को आस्था के रंगों में डुबोएगी।
सोमवार को है रंगभरनी एकादशी
रंगभरनी एकादशी पर सोमवार को ठाकुर बांकेबिहारी चांदी के सिंहासन पर बैठ सोने की पिचकारी से जब भक्तों पर टेसू का चटक रंग छोड़ेंगे, तो आराध्य के प्रसादी रंग में सराबोर होने की भक्तों की इच्छा पूरी होगी। पांच दिवसीय होली की शुरुआत मंदिर में होगी, तो होली की खुमारी भक्तों के भी सिर चढ़कर बोलेगी।
देश-दुनिया से लाखों भक्तों ने वृंदावन में डेरा डाला
आराध्य के प्रसादी रंग में सराबोर होने को देश-दुनिया से लाखों भक्तों ने वृंदावन में डेरा डाल रखा है। अब इंतजार केवल सोमवार की सुबह मंदिर के पट खुलने का है। लेकिन, मंदिर के पट खुलने से पहले ही मंदिर सेवायत प्राचीन परंपरा का निर्वहन करेंगे।
होली खेलने को तैयार बिहारीजी
मंदिर के जगमोहन में चांदी के सिंहासन पर श्वेत धवल पोशाक, सिर पर पगड़ी और कमर में रंगों की पोटली बांधे जब बांकेबिहारी हाथ में सोने की पिचकारी लेकर होली खेलने के लिए तैयार होंगे। सेवायत आराध्य के गालों पर केसर कीच, चोबा-चंदन और अरगजा लगाकर ही होली की शुरुआत करेंगे।
हर एंट्री पाइंट पर होगा जूताघर
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर आने वाले हर एंट्री पाइंट पर जूताघर बनाया गया है। जहां श्रद्धालु जूते-चप्पल उतारकर ही मंदिर की ओर आगे बढ़ेंगे। मंदिर के आसपास भारी मात्रा में पुलिस फोर्स श्रद्धालुओं की सहूलियत और सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है।
राधारमण मंदिर में ठाकुरजी ने सोने की पिचकारी से खेली होली
प्राचीन राधारमण मंदिर में भक्त और भगवान के बीच होली खेली गई। होला अष्टमी से शुरू हुई पारंपरिक होली में मंदिर के सेवायत गोस्वामियों ने आराध्य को गर्भगृह से बाहर जगमोहन में विराजमान किया। पीले रंग के वस्त्र धारण कराए और सोने की पिचकारी से टेसू के फूलों से बना रंग उनके वस्त्रों पर डाला। इसके बाद सेवा अधिकारियों ने ठाकुरजी का प्रसादी रंग और गुलाल भक्तों पर बरसाया। देश-विदेश से आए भक्तजन अपने ऊपर रंग प्रसादी रंग डालने पर झूम उठे और जयकारे लगाने लगे। भक्तजन भक्ति के रंग में सराबोर हो गए।
नगर के प्राचीन सप्त देवालयों में से एक ठाकुर राधारमण मंदिर में होला अष्टमी सात मार्च से पूर्णिमा 14 मार्च तक आठ दिन होली महोत्सव मनाए जाने की सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा है। मंदिर के सेवायत पद्मनाभ गोस्वामी, अनुराग गोस्वामी प्राचीन होली की धर्म परंपरा का निर्वाह करते हुए आराध्य को गर्भगृह से बाहर जगमोहन में विराजमान कर सोने की पिचकारी और टूसे के रंग से होली सेवा कर रहे हैं।