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महिलाओं को लेकर पीएम मोदी की मुहिम से जुड़ गया बॉलीवुड, ‘पंचायत’ में उठाया सवाल, ‘कौन है असली प्रधान?’

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नई दिल्ली। यह सच किसी से नहीं छिपा है कि संविधान के 72वें संशोधन के माध्यम से सीटें आरक्षित होने के बाद महिलाएं पंचायतों में चुनाव जीतकर सरपंच या प्रधान तो बन रही हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में कामकाज उनके पति या परिवार के अन्य पुरुष रिश्तेदार ही संभालते हैं।

चूंकि, सिनेमा को समाज का दर्पण माना जाता है तो यह सच अब तक लोकप्रिय वेब सीरीज श्पंचायतश् में भी दिखाई दिया कि निर्वाचित प्रधान मंजू देवी ( नीना गुप्ता ) की जगह पंचायत में पूरा दखल उनके पति ब्रजभूषण दुबे (रघुवीर यादव) का रहता है।

मुहिम में बॉलीवुड ने भी दिया साथ

मगर, जब नारी सशक्तीकरण को धरातल पर उतारने के लिए मोदी सरकार ने मुहिम तेज की तो इस कुप्रथा के विरुद्ध बॉलीवुड से भी बिगुल बज उठा। पंचायत वेब सीरीज बनाने वाली कंपनी श्द वायरल फीवरश् ने पंचायतीराज मंत्रालय के साथ मिलकर विशेष एपिसोड बनाया है-‘असली प्रधान कौन ?’

पंचायत वेब सीरीज के एपिसोड प्रधान कौन ? में श्असली फुलेरा की ग्राम प्रधान मंजू देवी का किरदार दिखाता है कि जब महिलाओं को सही मायनों में नेतृत्व करने का अवसर दिया जाता है तो वे योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने, जनसुनवाई करने और जनता का विश्वास जीतने में सक्षम होती हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता इतनी प्रभावशाली रही कि गांव के लोग यह तक कहने लगे कि उनके पति को हमेशा के लिए छुट्टी दे देनी चाहिए।

महिला प्रधान को मिलेगी शक्ति

वेब सीरीज के इस एपिसोड की प्रासंगिकता इसलिए अधिक है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनाई गई विशेष समिति ने हाल ही में प्रधान पति के बनावटी नेतृत्व पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है और पंचायतीराज मंत्रालय ने इस कुप्रथा को पंचायतों से समाप्त करने के लिए जागरुकता से लेकर कानून प्रविधान करने तक के उपायों पर काम शुरू कर दिया है।

हाल ही में सशक्त पंचायत नेत्री अभियान का शुभारंभ भी दिल्ली से किया गया है। दरअसल, पंचायत वेब सीरीज में प्रधान पति का प्रभाव दिखाए जाने को लेकर पंचायतीराज मंत्रालय सहमत नहीं था। सचिव विवेक को लेकर पंचायतीराज मंत्रालय सहमत नहीं था। सचिव विवेक भारद्वाज चाहते थे कि इस व्यवस्था को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। उसके बाद मंत्रालय और फिल्म निर्माता के बीच संवाद हुआ तो तीन विशेष एपिसोड बनाने पर सहमति बनी। यह एपिसोड प्रधान पति व्यवस्था के विरुद्ध है। बाकी दो एपिसोड ‘डिजिटलीकरण व पारदर्शिता’ व ‘पंचायतों के स्वयं के राजस्व स्त्रोत’ पर होंगे ।

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