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बंगाल की सभी सीटों पर संगठन को मजबूत करेगी कांग्रेस

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वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल में राज्य की सभी 294 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने 45.6 प्रतिशत वोट हासिल कर राज्य की 211 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वर्ष 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी को वोट भी ज्यादा मिले और सीटों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई...

कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने हाल ही में पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक कर उन्हें राज्य की सभी 294 विधानसभा सीटों पर संगठन को मजबूत करने का टास्क दे दिया है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी के नेताओं को पश्चिम बंगाल में जनाधार और संगठन को मजबूत करने की सलाह दी है।

दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय श्इंदिरा भवनश् में बुधवार को खरगे की अध्यक्षता और राहुल गांधी एवं केसी वेणुगोपाल की मौजूदगी में हुई बैठक में पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रभारी गुलाम अहमद मीर, पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शुभांकर सरकार, वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी और दीपा दासमुंशी सहित बंगाल कांग्रेस के कई अन्य बड़े नेता शामिल हुए। 

पश्चिम बंगाल में राज्य की सभी 294 विधानसभा सीटों पर संगठन को मजबूत बनाने की कांग्रेस की कवायद के साथ ही यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान किसको होगा ? क्या कांग्रेस के मजबूत होने का खामियाजा पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उठाना पड़ेगा ? या फिर कांग्रेस की मजबूती से भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा,जो ममता बनर्जी विरोधी मतों के सहारे राज्य में विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रही है।

इसके लिए हमें वर्ष 2016 और वर्ष 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करना पड़ेगा। वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल में राज्य की सभी 294 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने 45.6 प्रतिशत वोट हासिल कर राज्य की 211 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वर्ष 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी को वोट भी ज्यादा मिले और सीटों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई। 2021 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में 48.5 प्रतिशत वोट हासिल कर टीएमसी ने 213 सीटों पर कब्जा जमाया था। बीजेपी के प्रदर्शन की बात करें तो 2016 में राज्य की 291 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद पार्टी के खाते में सिर्फ 3 सीटें ही आ पाई थी और मत भी 10.3 प्रतिशत ही मिल पाया था। वहीं उस चुनाव में लेफ्ट पार्टियों के साथ मिलकर लड़ी कांग्रेस ने 12.4 प्रतिशत मत के साथ 44 सीटें जीती थी। 

2021 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन सबसे ज्यादा शर्मनाक रहा। जबकि भाजपा के शानदार प्रदर्शन ने राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया। पिछले चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत 12.4 प्रतिशत से घटकर महज 3 प्रतिशत रह गया और पार्टी के खाते में एक भी सीट नहीं आ पाई। वहीं भाजपा का मत प्रतिशत 10.3 प्रतिशत से बढ़कर 38.5 प्रतिशत पर पहुंच गया और सीटों की संख्या भी 3 से बढ़कर 77 पर पहुंच गई।

आंकड़े यह साफ-साफ बता रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस अगर मजबूत होती है तो इसका खामियाजा भाजपा को भी उठाना पड़ सकता है। ममता बनर्जी के बारे में यह मान कर चला जा रहा है कि मुसलमानों की बड़ी आबादी मजबूती से उनके साथ खड़ी है और लाभार्थी हिंदुओं का साथ हासिल करने के बाद वह और भी ज्यादा मजबूत हो जाती है। ऐसे में अगर कांग्रेस के वोटों का आंकड़ा 3 प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत को पार कर जाता है तो इसका नुकसान प्रारंभिक तौर पर भाजपा को ही होगा। लेकिन अगर कांग्रेस अगड़ी जातियों और मुसलमानों के अपने पुराने वोट बैंक को वापस ला पाने में थोड़ा बहुत भी कामयाब हो जाती है और 15 प्रतिशत के आसपास वोट हासिल कर लेती है तो फिर इसका नुकसान ममता बनर्जी को उठाना पड़ सकता है।

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