प्रयागराज (राजेश सिंह)। इस बार वासंतिक नवरात्र में कई शुभ योग एक साथ मिल रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ऐंद्र योग, और शुक्रादित्य योग देवी आराधना के पर्व को विशेष फलदायी बनाएगा। इस बार एक तिथि के क्षय की वजह से नवरात्र नौ की जगह आठ दिन का ही होगा। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की शुरुआत उदया तिथि के लिहाज से 30 मार्च को होगी और महानवमी की पूर्णाहुति छह अप्रैल को होगी।
चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च को शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होगी। वैसे प्रतिपदा 29 मार्च की शाम 4:27 बजे लग जाएगी,, लेकिन उदया तिथि की मान्यता होने की वजह से 30 मार्च को कलश स्थापना होगी। छह अप्रैल को पूर्णाहुति होगी। तिथि क्षय के कारण इस बार नवरात्र आठ दिनों का होगा। इस बार पंचमी तिथि का क्षय है। महाअष्टमी को ही महानवमी के भी अनुष्ठान पूरे होंगे। ज्योतिषाचार्य पं. ब्रजेंद्र मिश्र के अनुसार इस बार नवरात्रि की शुरुआत कई शुभ योगों के साथ हो रही है।
इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ऐंद्र योग, और शुक्रादित्य योग विशेष फलदायी होगा। ज्योतिषाचार्य कावेरी मुखर्जी के मुताबिक भगवान राम ने नवरात्र के दौरान शक्ति की आराधना की थी और शक्ति प्राप्त करके रावण का वध किया था। इस बार 31 मार्च को द्वितीया तिथि है। उस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा सुबह 9:12 बजे तक है। इसके बाद तृतीया तिथि को मां चंद्रघंटा का पूजन होगा। वह बताती हैं कि सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे के बीच घटस्थापना करने से बचें। इस बार पंचमी तिथि का क्षय हो रहा है।
कलश स्थापनाका शुभ मुहूर्त:
मुहूर्त: 30 मार्च सुबह 6:12 से 10:20 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त: 12:01 से 12:50 बजे तक।