प्रयागराज (राजेश सिंह)। शहर की मस्जिदों में शुक्रवार को अलविदा जुमा की नमाज मुकम्मल इंतजाम और सुरक्षा व्यवस्था के बीच अदा कराई गई। एक दिन पहले ही मस्जिदों की साफ-सफाई करीब पूरी कर ली गई। दरी, चटाई व पानी की समुचित व्यवस्था की गई। जामा मस्जिद में दो जमात में नमाज अदा कराई गई।
दोपहर 12:30 बजे से 2.45 बजे तक सभी मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा की गई। मस्जिदों में तकरीर और अलविदाई खुत्बा किया गया। इसके बाद मुस्लिम समाज के लोगों ने दो रकात जुमा की फर्ज़ नमाज अदा की। सभी मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा कर विशेष दुआ मांगी जाएगी। जुमा की नमाज सबसे अंत में गौस मस्जिद 2.30 करेली शाहगंज दरगाह 2.45 दारा शाह अजमल 2.30 मानसरोवर की मस्जिद में दोपहर 2.45 बजे व चौक जामा मस्जिद में दो बार पढ़ाई गई। दोपहर एक बजे सैयद रईस अख्तर साहब हबीबी और दो बजे सैयद अजगर अली में अदा की गई।
सूफी सुल्तान क़ादरी ने बताया कि रमजान के महीने के आखिरी जुमा को अलविदा या जुमातुल विदा कहा जाता है। यूं तो इस माह के हर दिन की अहमियत है, लेकिन जुमा को और दिनों का सरदार कहा जाता है, इसलिए इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। इसे छोटी ईद या हफ्ते की ईद भी कहा जाता है। रमजान के आखिरी जुमा की नमाज से रमजान के समापन का संदेश मिलता है। रहमत भरा महीना जाने के गम में अलविदा-अलविदा माह-ए-रमजान अलविदा कहा जाता हैं। ईद के आने की खुशी जहां लोगों में होती है, वहीं इस रहमत भरे महीने के जाने का गम भी होता है। अलविदा के माने रुखसत करना है।
सैयद अनवर ज़िया के मुताबिक कुरआन-ए-पाक में अल्लाह तआला फरमाता है कि रोजों की गिनती पूरी करो और अल्लाह की खिदमत करो कि उसने तुम्हें हिदायत फरमाई। हदीस में है कि जब पैगंबरे इस्लाम में तशरीफ लाए तो उस जमाने में अहले मदीना साल में दो दिन खुशी करते थे। पैगंबरे इस्लाम ने फरमाया यह क्या दिन है? लोगों ने अर्ज किया कि जाहिलियत में हम इन दिनों में खुशी करते थे। जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मुहम्मद आजम ने बताया कि शुक्रवार को अलविदा जुमा की नमाज बाजमात दो बार में पढ़ाई गई। पहली जमात दिन में एक बजे इमाम सैयद रईस अख्तर हवीबी की इमामत में और दूसरी जमात दोपहर दो बजे मौलाना सैयद अली असगर की इमामत में हुई।
मस्जिद व घरों में इबादत का दौर जारी है। तरावीह की नमाज पढ़ी जा रही है। एतिकाफ में खूब इबादत हो रही है। कुरआन-ए-पाक की तिलावत जारी है। शबे कद्र में पूरी रात जागकर इबादत हो रही है। शबे कद्र की चौथी रात में लोगों ने खूब इबादत की और रो-रो कर दुआएं मांगी। ईद की खरीदारी जमकर हो रही है। नाज फातिमा फाउंडेशन से जुड़े युवाओं ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंदों में ईद की किट बांटी। किट में सेवईं, चीनी, घी, मेवा और 200 सौ रुपए ईदी के तौर पर जरुरतमंदों को देकर दुआ हासिल की गई।