नई दिल्ली। मणिपुर में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने मैतई कोंगबा मारू मंदिर में आग लगा दी है। ये हमला तब किया गया है कि जब एक रोज पहले राज्य के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने सभी समुदायों के लोगों को लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को जमा करने के लिए एक सप्ताह की समय सीमा 6 मार्च तक बढ़ा दी थी।
यह वारदात सुबह करीब साढ़े नौ बजे हुई। भारी सुरक्षा घेरे में श्रद्धालुओं का समूह प्रार्थना करने के लिए मैतेयी के पवित्र स्थल कोंगबा मारू में पहुंचा था। आसपास की पहाड़ियों से कुल सात राउंड गोलियां चलाई गईं, लेकिन इस घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ।
घटना के तुरंत बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों सहित सुरक्षा बल इलाकों में पहुंचे और गोलीबारी के सिलसिले में चार आरोपितों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान कांगपोकपी जिले के निवासी लुंगौसेम किपगेन, लेटमिनलाल किपगेन, सतमिनलुन तुबोईऔर थांगगौलुन किलोंग के रूप में की गई। इस बीच गोलीबारी के विरोध में आसपास के गांवों के गुस्साए स्थानीय लोगों ने वाहनों का आवागमन अवरुद्ध कर दिया।
मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लूटे गए और अवैध हथियारों को सरेंडर करने की समय सीमा छह मार्च शाम चार बजे तक बढ़ा दी है। बयान में कहा गया है, हथियारों के स्वैच्छिक समर्पण के लिए सात दिन की समयसीमा समाप्त होने पर घाटी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों से इस अवधि को बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। इन अनुरोधों पर विचार कर समयसीमा बढ़ाने का फैसला किया गया है।
कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी
इस अवधि में हथियार सरेंडर करने वालों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इससे पहले राज्यपाल ने 20 फरवरी को अल्टीमेटम दिया था कि लोग सात दिनों के भीतर लूटे हुए और अवैध हथियारों को स्वेच्छा से सौंप दें तो हथियार सौंपने वालों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन सात दिनों की अवधि बीतने के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह समयसीमा गुरुवार को समाप्त हो गई। सात दिनों की अवधि में लोगों ने 300 से अधिक हथियार सरेंडर किए। इस बीच मणिपुर के कांगपोकपी जिले के एसपी ने पुलिसकर्मियों को अवैध संगठनों की मांगों के आगे न झुकने का निर्देश दिया है।
कांगपोकपी के एसपी मनोज प्रभाकर द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है, पता चला है कि कुछ अवैध संगठन कांगपोकपी में पुलिसकर्मियों से पैसे की मांग कर रहे हैं। कांगपोकपी जिला पुलिस के सभी कर्मियों को निर्देश दिया जाता है कि वे मांग पूरी न करें। पीड़ित कर्मियों को किसी भी आपात स्थिति में एसपी कांगपोकपी के कार्यालय से संपर्क करने का निर्देश दिया गया है।