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एसओ पिपरी के खिलाफ चायल-मनौरी मार्ग पर अधिवक्ताओं ने लगाया जाम

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कौशांबी (राजेश सिंह)। तहसील के अधिवक्ता शुक्रवार को पिपरी कोतवाली एसओ के खिलाफ लामबंद हो गए। साथी अधिवक्ता से अभद्रता करते हुए इनकाउंटर की धमकी देने से नाराज वकीलों ने नारेबाजी करते हुए चायल-मनौरी मार्ग को जाम कर दिया। सीओ चायल ने कई थानों की फोर्स के साथ पहुंच कार्रवाई का आश्वासन देकर मामला शांत कराया। इस दौरान तकरीबन घंटे भर तक सड़क के दोनों तरफ वाहनों की लंबी लाइन लगी रही।

चरवा कोतवाली के हौसी मजरा काजू गांव निवासी प्रवेश कुमार यादव चायल तहसील में वकालत करते हैं। बताया कि बुधवार शाम वह स्टाम्प लाइसेंस नवीनीकरण की रिपोर्ट लगवाने पिपरी कोतवाली गए थे। आरोप है कि घंटों इंतजार के बाद थानाध्यक्ष सिद्वार्थ सिंह ने उन्हें अपने चौंबर में बुलाया। वार्ता कर चौंबर से निकलने के दौरान दरवाजा तेज से बंद होने पर वह आगबबूला हो गए।

अधिवक्ता प्रवेश के मुताबिक थानाध्यक्ष ने उन्हें भीतर बुलाकर अभद्रता करते हुए इनकाउंटर करने की धमकी दी। थाने से निकल कर उन्होंने किसी तरह अपनी जान बचाई। शुक्रवार सुबह बॉर एसोसिएशन के पदाधिकारियों संग अधिवक्ताओं ने इस मुद्दे पर बैठक की। इसके बाद एकजुट हुए अधिवक्ता थानाध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चायल-मनौरी मार्ग पहुंचे और सड़क पर जाम लगा दिया।सूचना के बाद कई थानों की फोर्स के साथ पहुंचे सीओ सत्येंद्र तिवारी ने तीन घंटे में मामला निस्तारित कराने का आश्वासन देकर जाम समाप्त कराया।

माफी मांगने या फिर ट्रांसफर की मांग पर अड़े रहे अधिवक्ता

चिलचिलाती धूप में आक्रोशित अधिवक्ता एसओ सिद्धार्थ सिंह से माफी मांगने व उनके ट्रांसफर की मांग कर रहे थे। मौके पहुंचे चायल चौकी इंजार्ज अजीत सिंह ने अधिवक्ताओं को समझाने का काफी प्रयास किया। लेकिन, वह बगैर कार्रवाई के सड़क से हटने को तैयार नहीं हुए।

एसओ को थाने से नहीं हटाने पर अधिवक्ता करेंगे आंदोलन

अधिवक्ता सभागार में सीओ सत्येंद्र तिवारी ने मामले को लेकर बार एसोसिएशन संग बैठक की। उन्होंने उच्चाधिकारियों से वार्ता कर मामले के निस्तारण का आश्वासन दिया। कहा कि द्वितीय शनिवार, रविवार और सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा की छुट्टी होने की वजह से मामले में थोड़ा समय लग सकता है। अधिवक्ताओ ने सोमवार तक सिद्धार्थ सिंह को पिपरी कोतवाली से नहीं हटाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

इनका कहना है

अधिवक्ता ने पुलिस विभाग से चरित्र सत्यापन कराने के लिए आवेदन पत्र दिया था। जांच के दौरान पता चला कि आवेदक के विरुद्ध पिपरी थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। विवेचना के बाद साक्ष्य के अभाव में अंतिम रिपोर्ट न्यायालय भेजी गई है। जिसे अभी तक न्यायालय द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया है। इसी वजह से थानाध्यक्ष ने चरित्र सत्यापन की संस्तुति नहीं की। इससे नाराज अधिवक्ताओं द्वारा पेशबंदी में असत्य व निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं। --सत्येंद्र प्रसाद तिवारी, सीओ


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