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ऐतिहासिक है कारगिल विजय दिवस की गौरवगाथा

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आंखें भीगी थीं... दिल में गर्व और निगाहें फतेह की जा चुकी चोटियों पर

जम्मू। कारगिल की चोटियों पर जैसे ही सूरज की पहली किरणें पड़ती हैं तो बलिदानियों की शौर्य गाथाएं ताजा हो उठती हैं। 26वें कारगिल विजय दिवस के ऐतिहासिक मौके पर बलिदानियों के स्वजन की निगाहें भले की कारगिल की चोटियों पर थी और उनकी आंखें भी भीगी थी, पर दिल गर्व से भरा था।

कारगिल विजय दिवस सिर्फ ऐतिहासिक गौरवगाथा नहीं, बल्कि आज भी जीवंत है। हालिया ऑपरेशन सिंदूर इसकी गूंज को बुलंद करता है। शुक्रवार को द्रास के लमोचन व्यू प्वाइंट पर तिरंगा लहराने के साथ युद्ध के संस्मरणों व बलिदानियों की शौर्य गाथाओं से 1999 के कारगिल युद्ध की याद ताजा हो गईं। कार्यक्रम का आगाज शुक्रवार से शुरू हुआ। द्रास पहुंचे केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया व रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने बलिदानियों की याद में हो रहे कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। केंद्रीय मंत्रियों ने दोपहर को द्रास के सेंडो रियर में गौरवमय संस्कृति कार्यक्रम व शाम को कारगिल वार मेमोरियल में शौर्य संध्या के दौरान बलिदानियों की याद में दीप जलाने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। पाकिस्तान से कारगिल की चोटियों को वापस लेते प्राणों की आहुति देने वाले सशस्त्र सेनाओं के 545 वीरों को शनिवार को कारगिल विजय दिवस पर श्रद्धांजलि दी जाएगी।

वार मेमोरियल को फूलों से सजाया 

शनिवार को कारगिल वार मेमोरियल पर मुख्य कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्रियों के साथ सेना अध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी भी हिस्सा ले रहे हैं। वार मेमोरियल को फूलों से सजाया है। सुबह का मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत कारगिल वार मेमोरियल पर सेना के हेलीकाप्टरों द्वारा पुष्प वर्षा करने के साथ होगी। कार्यक्रम के पहले दिन द्रास के लामोचन व्प्यू प्वायंट पर बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी। बलिदानियों के स्वजन ने नम आंखों के साथ देश के लिए जान देने वाले अपने बलिदानियों को याद किया।

37 वीर नारियों और उनके स्वजन सम्मानित

मुख्य अतिथि सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने लामोचन व्यू प्वाइंट पर युद्ध के 37 वीर नारियों और उनके स्वजन को सम्मानित किया। लेफ्टिनेंट जनरल भल्ला ने बलिदानियों की याद में कार्यक्रम की शुरुआत फ्लैग फाउंडेशन आफ इंडिया के राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के साथ की। फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व खलूबार सेक्टर में कारगिल युद्ध में भाग ले चुके सेवानिवृत्त मेजर जनरल आशिम कोहली मौजूद थे। विशाल राष्ट्रीय ध्वज के पीछे टाइगर हिल, बत्रा टाप व तोलोलिंग की चोटियों को साफ देखा जा सकता है। देशभक्ति की भावना से ओत प्रोत रंगारंग कार्यक्रम का भी आयोजन किया। सज्जाद हुसैन बाब के नेतृत्व वाले कारगिल की युवा महिला कलाकारों के समूह, टीम स्ट्रिंगमोष् को सम्मानित किया।

क्यों मनाते हैं कारगिल दिवस?

हर साल 26 जुलाई को मनाया जाने वाला कारगिल विजय दिवस भारत की तारीख में एक काफी महत्वपूर्ण दिन है। यह 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान मुल्क के लिए अपनी जान की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों की बहादुरी को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।

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