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प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर ब्रेल लिपि से दिव्यांगों को मिलेगी नई दिशा

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लगभग 1,300 अमृत भारत स्टेशनों पर मिलेगी यह सुविधा

प्रयागराज (राजेश सिंह)। कल्पना कीजिए कि कमजोर नजर के कारण आप रेलवे स्टेशन पर भटक रहे हों। प्लेटफॉर्म ढूंढ़ना मुश्किल हो और सही कोच तक पहुंचना नामुमकिन। लेकिन अब यह समस्या दूर! भारतीय रेलवे दिव्यांग यात्रियों के लिए एक बड़ा कदम उठा रहा है।

देश भर के लगभग 1,300 अमृत भारत रेलवे स्टेशनों को ब्रेल लिपि से लैस किया जाएगा। इसमें उत्तर मध्य रेलवे के 46 स्टेशन शामिल हैं। यह सुविधा दृष्टिबाधित लोगों को आसानी से घूमने-फिरने में मदद करेगी। सीधे शब्दों में कहें तो स्टेशन पर ब्रेल लिपि के चिह्नों को किताब की तरह उंगलियों से छूकर पढ़ा जा सकता है।

ब्रेल लिपि पढ़ने-लिखने की एक विशेष विधि है, जिसे नेत्रहीनों या कम दृष्टि वालों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें छोटे उभरे हुए बिंदु होते हैं जिन्हें छूकर महसूस किया जा सकता है। एक ब्रेल सेल में छह बिंदु होते हैं, जो दो स्तंभों में तीन-तीन की पंक्तियों में व्यवस्थित होते हैं। इन बिंदुओं को ऊपर-नीचे करके अलग-अलग आकृतियाँ बनाई जाती हैं।

उदाहरण के लिए, अगल-बगल रखे गए दो बिंदु ‘अ’ या ‘क’ बनाते हैं। चार बिंदु क बनाते हैं। इससे अक्षर, संख्याएँ और चिह्न बनते हैं। इसका आविष्कार फ्रांस के लुई ब्रेल ने 1824 में किया था और भारत में इसे भारती ब्रेल कहा जाता है, जो हमारी भाषाओं के लिए उपयुक्त भाषा है। स्टेशनों पर ब्रेल नेविगेशन मानचित्र, स्पर्शनीय टाइलें (जिन्हें नेविगेट करने के लिए महसूस किया जा सकता है) और साइनबोर्ड लगाए जाएँगे। ये फर्श पर बनी रेखाएँ होंगी, जो सीढ़ियों या दरवाजों की ओर इशारा करेंगी।

दिव्यांग यात्रियों के लिए सबसे बड़ा लाभ यह है कि अब वे ब्रेल मानचित्र को छूकर प्लेटफ़ॉर्म नंबर, कोच की स्थिति और शौचालय की सुविधाओं का पता लगा सकते हैं। स्पर्शनीय टाइलें पैरों के नीचे महसूस की जा सकेंगी, जिससे वे गलत रास्ता अपनाने से बचेंगे। ये चिह्न हर जगह मौजूद होंगेरू शौचालय, ओवरब्रिज, लिफ्ट, एस्केलेटर और प्रतीक्षालय।

भारत में कुल 26.8 मिलियन दिव्यांग लोग हैं (2023 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसार)। इनमें से लगभग 4.5 मिलियन दृष्टिबाधित हैं। 2024-25 में कुल 7.15 बिलियन यात्रियों ने भारतीय रेलवे में यात्रा की। विकलांगों की हिस्सेदारी लगभग 1-2ः होने का अनुमान है, यानी 70-14 लाख विकलांग लोग सालाना ट्रेन से यात्रा करते हैं।

सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि यह पहल ष्सुगम्य भारत अभियानष् का हिस्सा है, जो विकलांग लोगों को मुख्यधारा में लाता है। रेलवे की यह पहल न केवल सुविधा प्रदान करेगी, बल्कि सम्मान भी प्रदान करेगी।

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