पल-पल की जानकारी आनलाइन सिस्टम में होगी दर्ज
प्रयागराज (राजेश सिंह)। आनंद भवन से 19 नवंबर को शुरू होने वाली 40वीं इंदिरा मैराथन (42.195 किमी) में इस बार धावकों की निगरानी बोस्टन मैराथन की तरह आधुनिक तकनीक से होगी। सभी धावकों को पंजीकरण के बाद विशेष इलेक्ट्रानिक चिप वाला बिब नंबर दिया जाएगा।
एथलेटिक्स फेडरेशन आफ इंडिया ने दी मंजूरी
प्दकपतं डंतंजीवद 2025 यह चिप बिब के पीछे चिपकी रहेगी और मैराथन के दौरान हर पल की जानकारी फेडरेशन के आनलाइन सिस्टम में दर्ज होगी। खेल विभाग के प्रस्ताव पर एथलेटिक्स फेडरेशन आफ इंडिया ने इस व्यवस्था को मंजूरी दे दी है। इस चिप का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा और धावक इसे घर ले जा सकेंगे।
पहले मैराथन धावकों के जूते में बांधी जाती थी चिप
प्दकपतं डंतंजीवद 2025 पहले इंदिरा मैराथन में चिप धावकों के जूते में बांधी जाती थी। इससे चिप खुलकर गिरने, किसी दूसरे धावक द्वारा पहन लेने या खो जाने की समस्या होती थी, जिससे विवाद खड़े हो जाते थे। कई बार धावकों को डिसक्वालीफाई तक करना पड़ता था। लेकिन नई चिप सीने पर लगे बिब नंबर में जुडी होगी।
बोस्टन मैराथन में इसी तकनीक का होता है प्रयोग
बोस्टन मैराथन में इसी तरह की तकनीक वर्षों से सफलतापूर्वक इस्तेमाल हो रही है, जहां चिप बिब में लगी रहती है और गिरने का खतरा नहीं होता। लंदन मैराथन में भी ऐसी ही व्यवस्था अपनाई जाती है। 39 वीं इंदिरा मैराथन में इसका ट्रायल भी किया गया था जो सफल रहा था। उसी आधार पर इस बार इसे विस्तार दिया जा रहा है।
चिप से छेड़छाड़ पर हो जाएगी निष्क्रिय
चिप एक बार सक्रिय होने के बाद छेड़छाड़ करने पर तुरंत निष्क्रिय हो जाएगी। इसे एक से अधिक बार इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। जिस धावक के नाम से बिब नंबर होगा, चिप भी उसी नाम से जुड़ी रहेगी। इससे धोखाधड़ी की गुंजाइश खत्म हो जाएगी। मैराथन के दौरान परिणाम मैनुअल और डिजिटल दोनों तरीकों से निकाले जाएंगे, जो विश्वसनीयता बढ़ाएगा।
धावकों को दी जाएगी निशुल्क चिप
आरएसओ प्रेम कुमार के प्रस्ताव पर फेडरेशन ने यह व्यवस्था स्वीकृत की है। धावकों को निश्शुल्क चिप दी जाएगी। इससे पहले 2021 में चिप सिस्टम शुरू हुआ था, लेकिन 2023 में इसे स्थगित कर दिया गया था। अब बोस्टन माडल अपनाकर इंदिरा मैराथन को विश्व स्तर की बनाया जा रहा है। धावक घर जाकर चिप को स्मृति चिह्न के रूप में रख सकेंगे।
चिप कैसे काम करेगी?
मैराथन के शुरूआती स्थान, टर्निंग प्वाइंट और फिनिश लाइन पर विशेष मैट बिछाए जाएंगे। जैसे ही धावक इन मैट से गुजरेगा, चिप की इलेक्ट्रानिक तरंगें सक्रिय हो जाएंगी। यह तरंगें सर्वर को संदेश भेजेंगी और फेडरेशन के कंप्यूटर सिस्टम से जुड़कर धावक की हर गतिविधि की निगरानी करेंगी। बोस्टन मैराथन में भी मैट और चिप का यही तंत्र काम करता है, जो रियल-टाइम ट्रैकिंग सुनिश्चित करता है।
क्या होंगे फायदे ?
- चिप रास्ते में गिरेगी नहीं, इसलिए धावक को डिसक्वालीफाई होने का डर नहीं रहेगा।
- पसीने से भीगने पर चिप काम करना बंद नहीं करेगी।
- चिप गायब होने, पैसे लेकर बदलने या वापस जमा करने की झंझट खत्म हो जाएगी।
