प्रयागराज (राजेश सिंह)। माघ मेला 2026 को बसाने के लिए इस बार थ्रीडी मैपिंग और ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। इस तकनीक से मेला क्षेत्र को सात सेक्टरों में बांटा जाएगा। जमीन की मैपिंग करके बसावट की योजना बनाई जाएगी, जो पिछले तरीकों की तुलना में ज्यादा तेज और सटीक होगी। तीन जनवरी 2026 से शुरू होने वाले माघ मेला की तैयारियां अब तेजी पकड़ने लगी है।
ड्रोन से मेला क्षेत्र का होगा सर्वे
डंही डमसं 2026 महाकुंभ के बाद संगम की रेती पर आयोजित होने जा रहे माघ मेला की तैयारी पूरी करने में अब लगभग दो माह ही बचे हैं। मेला को बसाने के लिए पूरे क्षेत्रफल का ड्रोन सर्वे कराकर थ्रीडी (थ्री डाइमेंशनल) मैपिंग कराई जाएगी, जिससे मैदान की सटीक बनावट का पता चलेगा।
सात सेक्टरों में बांटा जाएगा मेला क्षेत्र
ड्रोन से मैपिंग के आधार पर मेला क्षेत्र को सात सेक्टरों में विभाजित किया जाएगा। यह तरीका भौतिक पैमाइश की तुलना में ज़्यादा तेज और सटीक होगा। इससे सेक्टर विभाजन से लेकर प्रमुख मार्गों व गाटा मार्गों के निर्धारण में समय की बचत होगी। इस बार मेला का क्षेत्रफल 770 हेक्टेयर से बढ़ाकर लगभग 1000 हेक्टेयर करने की तैयारी है। कम समय में ज्यादा क्षेत्रफल में मेला बसाने के लिए ही थ्रीडी मैपिंग की मदद ली जा रही है।
एक सप्ताह में जमीन सूखने पर होगा समतलीकरण
डंही डमसं 2026 उप मेलाधिकारी विवेक शुक्ला ने बताया कि समतलीकरण का कार्य शुरू करा दिया गया है। काली मार्ग और ओल्ड जीटी मार्ग पर पांटून पुलिया के लिए पीपा आ गए हैं। माना जा रहा है कि एक हफ्ते में जमीन और सूख जाएगी, जिसके बाद समतलीकरण का कार्य तेज हो जाएगा। विभिन्न विभागों के टेंडर की प्रक्रिया पूरी करा दी गई है।
सात पांटून पुल बनाए जाएंगे
इस बार माघ मेला में सात पांटून पुल बनाए जाने का प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने निर्णय लिया है। पिछले माघ मेला में छह पांटून बनाए गए थे। फाफामऊ पुल के पास गंगा पर एक पांटून बनाया जाना प्राधिकरण ने आवश्यक माना है, जिससे यातायात व्यवस्था सुगम हो सकेगी। उप मेलाधिकारी ने बताया कि लोक निर्माण विभाग के साथ ही विद्युत व जल निगम के कार्य समानांतर कराए जाएंगे।
माघ मेला के प्रमुख स्नान पर्व
-03 जनवरी 2026 -- पौष पूर्णिमा
-14 जनवरी 2026 -- मकर संक्रांति
-18 जनवरी 2026 -- मौनी अमावस्या
-23 जनवरी 2026 -- वसंत पंचमी
-01 फरवरी 2026 -- माघी पूर्णिमा
-15 फरवरी 2026 -- महाशिवरात्रि
