प्रयागराज (राजेश सिंह)। अमावस्या की रात तंत्र पूजा किया गया। बैरहना स्थित किन्नर अखाड़े में किन्नर संतों की ओर से यह पूजा आधी रात के बाद किया गया। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि (टीना मां) के नेतृत्व में किन्नर संतों ने यह तंत्र पूजन पूरे विधि विधान से संपन्न कराया।
संध्या नंद गिरि ने मंत्रोच्चार किया और मां काली के सामने गन्ने को काट सात्विक बलि दी। वह बताती हैं कि वह वर्षाें से यह तंत्र पूजा करती आ रही हैं। दरअसल, ऐसा मान्यता होती है कि अमावस्या की रात मां काली, 64 योगिनी धरती पर आती हैं। इसलिए यह तंत्र पूजा की जाती है। इसमें बलि देने की प्रथा है लेकिन हमारे सनातन धर्म में ऐसा नहीं होता, मां को हम लोग सात्विक बलि देते हैं जिसमें गन्ना, खीरा या कद्दू आदि को काटते हैं। इसी तरह शहर के रसूलबाद और दारागंज श्मशान घाट पर भी तंत्र पूजा की प्रथा है।