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एमपीः खंडवा में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान ट्रैक्टर-ट्रॉली तालाब में गिरी,11 की मौत

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मृतकों में 8 बच्चियां ३ मृतकों की उम्र 7 से 25 साल, तीन की हालत गंभीर

खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान ट्रैक्टर-ट्रॉली तालाब में गिर गई। हादसे में 8 बच्चियों समेत 11 लोगों की मौत हो गई। इनमें 7 साल के बच्चे से लेकर 25 साल तक के युवा हैं। तीन गंभीर घायलों का इलाज खंडवा जिला अस्पताल में चल रहा है। ट्रैक्टर सवार 35 से 40 आदिवासी बच्चे-युवा और महिला-पुरुष पानी में डूबे थे। इनमें से करीब 10 लोग तैरकर बाहर आ गए। बाकी को ग्रामीण और रेस्क्यू टीम ने बाहर निकाला। ट्रैक्टर ड्राइवर दीपक किराड़े फरार है।

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पुलिस के मुताबिक घटना खंडवा में पंधाना के जामली गांव में हुई। गुरुवार शाम करीब साढ़े 3 बजे राजगढ़ गांव के पाडला फाटा फलिया से लोग देवी प्रतिमा विसर्जन के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली अर्दला तालाब पहुंचे थे। ट्रैक्टर तालाब किनारे पहुंचते ही पलट गया। उसमें सवार सभी लोग पानी में जा गिरे। उन्हें बचाने के लिए 10-15 लोगों ने तालाब में छलांग लगा दी। शाम करीब साढ़े 5 बजे पुलिस-प्रशासन की टीम ने जेसीबी से रेस्क्यू शुरू किया। खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन रात साढ़े आठ बजे तक चला। पंधाना के सिविल सर्जन अनिरुद्ध कौशल ने बताया कि खंडवा से डॉक्टरों की टीम बुलाकर सभी शवों का रात में ही पीएम भी किया गया। प्रत्यक्षदर्शी प्रदीप जगधन्ने ने बताया कि ट्रैक्टर-ट्रॉली जहां गिरी, वहां करीब 50 फीट पानी होगा। हादसे के बाद 9 लोगों को हम लोगों ने बाहर निकाला। इनको पंधाना अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने 3 खंडवा रैफर कर दिया।

पहले ट्रॉली पलटी, उसके ऊपर ट्रैक्टर पलट गया

प्रत्यक्षदर्शी करण ने बताया कि रास्ते में विसर्जन के लिए कोई बेहतर स्थान नहीं मिला, तो लोग हमारे जामली गांव आए। यहां बैकवाटर में मूर्ति विसर्जन के लिए जाने लगे। बैकवाटर के नजदीक पहुंचे ही थे कि ट्रैक्टर संतुलन खो बैठा और पहले ट्रॉली पलटी, फिर ट्रैक्टर भी उसके ऊपर पलट गया। जो लोग ट्रॉली बैठे थे, वे पानी में उसके नीचे दब गए। उम्र में बड़े कुछ लोग बाहर निकल सके। बाकी लोग दबे रह गए।

दो घंटे बाद पहुंची रेस्क्यू टीम, तब तक सभी दबे रहे

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ग्रामीण करण के मुताबिक, रेस्क्यू टीम करीब दो घंटे बाद शाम साढ़े 6 बजे पहुंची। एसडीआरएफ की टीम से पहले कलेक्टर और आला अधिकारी पहुंच गए थे। तब तक एक भी व्यक्ति बाहर निकाला नहीं जा सका। बड़ी क्रेन की मदद से ट्रैक्टर-ट्रॉली को बाहर निकाला। फिर एकदृएक करके लोगों का रेस्क्यू किया। इस तरह रात 8.30 बजे तक आखिरी शव 7 वर्षीय चंदा नाम की लड़की का निकाल लिया गया।

ट्रैक्टर-ट्रॉली तालाब तक ले जाने को लेकर दो अलग-अलग बातें

1. कोटवार ने रोका, ट्रैक्टर ड्राइवर नहीं माना...

जामली गांव के लोगों ने बताया कि तालाब तक जाने वाली पुरानी सड़क पर एक पुलिया है। तालाब में ज्यादा पानी होने पर यह पुलिया डूब जाती है। इन दिनों तालाब में पानी कम है, तो पुराने रोड पर तालाब के पास एक कोटवार लोकेंद्र बारे की ड्यूटी भी लगी थी। कोटवार ने ट्रैक्टर ड्राइवर को तालाब के अंदर जाने से रोका भी था, लेकिन वो नहीं माना। पुलिया पर हल्का पानी था। पुलिया पार करते समय ट्रैक्टर का पहिया नीचे उतर गया। ट्राली में ही ग्रामीणों के साथ दुर्गा प्रतिमा भी रखी हुई थी। लोग मूर्ति और ट्रॉली के नीचे दब गए। लोकेंद्र बारे ने बताया कि ड्राइवर नशे में लग रहा था।

2. तैरना जानते थे फिर भी जान नहीं बची...

प्रत्यक्षदर्शी जालम सिंह ने बताया कि ड्राइवर दीपक किराड़े ट्रैक्टर को तालाब की पाल के ऊपर ले गया था। ट्रॉली में बैठे लोगों ने उससे पानी में नीचे उतरने को कहा। ड्राइवर तालाब किनारे ट्रैक्टर ले गया। कुछ लोग तालाब किनारे ही उतर गए। ट्रॉली में बैठे कुछ युवाओं ने ट्रैक्टर पानी में और आगे ले जाने को कहा। ड्राइवर ने मना किया तो उस पर दबाव बनाया। ट्रैक्टर आगे बढ़ाते ही पानी में पलट गया। कुछ लोग तैरकर बाहर आ गए, लेकिन जो ट्रॉली के नीचे फंस गए, उनकी मौत हो गई, जबकि वे भी तैरना जानते थे। फंसते नहीं तो जान बच जाती।

कलेक्टर बोले- ड्राइवर को तालाब की गहराई का अंदाजा नहीं था

खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने बताया कि ट्रैक्टर ड्राइवर को तालाब की गहराई का अंदाजा नहीं था। अति उत्साह में वे लोग ट्रॉली समेत नीचे उतर गए। ट्रॉली पलटने से सभी लोग पानी में डूब गए। इसके बाद सूचना पर मौके पर पहुंची एसडीईआरएफ की टीम और होमगार्ड के जवानों ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया।

तीन की हालत गंभीर, फेफड़ों में पानी भरा

खंडवा जिला अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि सोनू पिता थावर सिंह (16), सोनू पिता रिशू (18) और मंजुला पिता मांगीलाल (17) की हालत गंभीर है। उनके फेफड़ों में पानी भर गया है। तीनों को करीब 48 घंटे तक आईसीयू में ऑब्जर्वेशन पर रखा जाएगा।

40 परिवार, किसी के घर नहीं जला चूल्हा

पाडला फाटा फलिया में रहने वाले सभी 30 से 40 परिवार आदिवासियों के हैं। इनकी झोपड़ियां दूरदृदूर हैं। सभी ने नौ दिन तक नवरात्र पर्व मनाया। विसर्जन के दौरान हादसा होने से गांव में मातम पसर गया। रात को किसी के घर चूल्हा नहीं जला।


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