अटल बिहारी वाजपेयी भागलपुर के सेंडिंग कंपाउंड पहुंचे। मंच पर चढ़े। दोनों हाथ फैलाकर बोले कहां है किसलय? मुझे मेरा किसले लौटा दो। वाजपेई ने उन्होंने रुआंसे मन से कहा मुझे मेरा किसलय लौटा दो...
एक नाम किसी किरदार में तब्दील हो जाता है तो फिर कहानी बन जाती है। कुछ कहानी कुछ सेकेंड जीती है तो कुछ मिनट, कुछ कहानी कुछ दिन याद रहती है तो कुछ वर्षों। ऐसी ही एक कहानी बिहार की राजनीति से जुड़ी है। फरवरी 2005 प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहा था। लड़ाई लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और एनडीए के बीच थी। पूरे बिहार को मालूम था कि आरजेडी चुनाव जीती तो सीएम कौन बनेगा? राबड़ी देवी। लेकिन एनडीए के सीएम फेस को लेकर कंफ्यूजन थी और यह कंफ्यूजन सिर्फ लोगों को ही नहीं बल्कि खुद एनडीए भी कंफ्यूज थी। बिहार में पहले चरण का मतदान हो चुका था। बीजेपी को यह बात समझ आई कि सीएम फेस घोषित कर देना चाहिए। यहीं से सीन में एंट्री होती है अरुण जेटली और प्रमोद महाजन की। जेटली और महाजन के बीच चर्चा हुई। एक नेता पर सहमति बनी। यह नेता लालू यादव के पुराने दोस्त थे। 2004 तक अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री भी रह चुके थे। जब इस नेता के नाम पर मुहर लगने वाली थी तब उनकी जगह लालू रेल मंत्री बन चुके थे। अब तो वह बिहार के 7 दिन के लिए एक बार पहले भी सीएम रह चुके थे। नाम नीतीश कुमार। जेटली और महाजन ने लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेई को भरोसे में लिया। लेकिन जैसे ही जेटली नीतीश कुमार के नाम का पर्चा लेकर बिहार पहुंचे तो बवाल हो गया। प्रदेश बीजेपी का नेतृत्व उखड़ गया। उन्हें डर था कि नीतीश के नाम का ऐलान होते ही स्वर्ण वोटर्स झड़क जाएंगे। क्योंकि बीजेपी की छवि ब्राह्मण बनिया की पार्टी वाली थी। लेकिन दिल्ली के आगे पटना का कितना ही जोर चलता। तो साफ तय हुआ कि पटना से करीब 230 किलोमीटर दूर भागलपुर में एक रैली होगी। रैली को संबोधित करेंगे देश के पूर्व मुखिया अटल बिहारी वाजपेयी। दो मुद्दों पर वाजपेयी को बोलना था। पहला किसलय किडनैपिंग केस और दूसरा एनडीए का सीएम फेस नीतीश कुमार होंगे।
मेरा किसलय मुझे लौटा दो, जब अटल बिहारी एक बच्चे के अपहरण पर रो पड़े
अटल बिहारी वाजपेयी भागलपुर के सेंडिंग कंपाउंड पहुंचे। मंच पर चढ़े। दोनों हाथ फैलाकर बोले कहां है किसलय? मुझे मेरा किसले लौटा दो। वाजपेई ने उन्होंने रुआंसे मन से कहा मुझे मेरा किसलय लौटा दो। 27 जनवरी 2005 को बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार में अटल बिहार वाजपेयी ने जब दोनों हाथों को फैलाकर मंच से भाषण दिया तो 15 साल से सत्ता पर काबिज लालू-राबड़ी सरकार उखड़ गई। अटल की इमोशनल अपील ने उस समय की आरजेडी सरकार की साख पर गहरा वार किया और पूरे राज्य की राजनीति हिला दी। दरअसल, मुजफ्फपुर के डीपीएस स्कूल के छात्र किसलय को अगवा कर लिया गया था। उस वक्त बिहार में अपहरण को लेकर खूब बयानबाजी होती थी। 13 दिन बाद किसलय को बरामद कर लिया गया। इस बयान ने बिहार के लोगों की सोच बदल दी थी और उसके बाद बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी के उस बयान को आज भी लोग याद करते हैं। डीपीएस समेत राज्यभर के स्कूलों के बच्चों ने स्कूलों में टिफिन ले जाना बंद कर दिया। पहली बार स्कूली छात्र सड़क पर नजर आए थे।
वैसे तो हर चुनाव महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इस बार का बिहार विधानसभा चुनाव इस मायने में थोड़ा अलग है कि यह संभवतः नीतीश कुमार की अंतिम पारी है। उन्होंने सबसे लंबी अवधि तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना लिया है। यह रेकॉर्ड श्रीकृष्ण सिन्हा के नाम था, जिसे टूटने में सात दशक से भी ऊपर का समय लगा।
नीतीश के पास दो दिशा में घूमने वाली घड़ी
घड़ी सब के घर में होती है। जिस चाल से घड़ी चलती है उसे क्लॉकवाईज कहते हैं। कहा जा सकता है कि बिहार में नीतीश कुमार के पास ऐसी घड़ी है जो क्लॉकवाईज और एंटीक्लॉकवाईज दोनों दिशा में घूमती है। नीतीश कुमार भारतीय राजनीति में एक बड़े बदलाव का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें मुख्यमंत्री वही रहे, मगर विपक्ष बदलता रहा। उनका व्यक्तित्व भी चमत्कारी है। न तो बीजेपी के साथ होने पर सांप्रदायिकता का आरोप लगता है और न राष्ट्रीय जनता दल के साथ होने पर भ्रष्टाचार का। दोनों दल उन्हें साथ लेने के लिए तैयार भी रहते हैं।