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निर्गुण निराकार ब्रह्म को सगुन साकार बना देती है भक्त की भावना: पं निर्मल कुमार शुक्ल

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प्रयागराज (राजेश सिंह)। यमुनापार क्षेत्र के नीबी लोहगरा में आयोजित भागवत कथा के दौरान मानस महारथी पंडित निर्मल कुमार शुक्ल ने कहा कि - वैसे तो वेदों पुराणों शाश्त्रों में परमात्मा को निर्गुण निराकार कहा गया है। वेद कहते हैं वह अज अनादि अगोचर अगम्य जन्म मरण से रहित नाम और रूप से परे है। ब्रह्म का अर्थ है जो सबसे बृहद है मन बुद्धि की कल्पना से परे है किन्तु वही अव्यक्त परमात्मा भक्त की निश्छल भावना के वशीभूत होकर उनके इच्छा के अनुकूल शरीर धारण करके भक्त के सुख वर्धन के लिए अनेक प्रकार की लीला करने को विवश हो जाता है।

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पं अमरनाथ दूबे के आवास पर भागवत कथा के चतुर्थ दिवस मानस महारथी पं निर्मल कुमार शुक्ल ने विशाल श्रोता समुदाय को भाव विभोर करते हुए उक्त उद्गार व्यक्त किया।आप ने कहा कि भगवान कृष्ण ने यद्यपि माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया किन्तु पुत्र सुख का आनंद तो नंद और यशोदा को प्रदान कि। यशोदा का तात्पर्य है जो दूसरे को यश प्रदान करे उसी तरह जो समाज को आनंद लुटाए उसे नंद कहते हैं। आध्यात्मिक दृष्टि से गोकुल का अर्थ होता है इंद्रियों का समूह गो याने इंद्रिय हमारी समस्त इन्द्रियां भगवान को समर्पित हो जाएं।नेत्र केवल उनका दर्शन करना चाहें वाणी केवल उनका गुणानुवाद करे हांथ गोविंद की सेवा और मन उनके चिंतन में तल्लीन हो जाए तो हमारा शरीर ही गोकुल बन जाएगा और इसमें कृष्ण का निवास हो जाएगा।गोपी का अर्थ भी यही होता है जिसकी गो याने इन्द्रियां कृष्ण का पान कर रही हों वह है गोपी।इन गोपियों ने बिना किसी साधन तपस्या के कृष्ण को अपना बना लिया। भगवान इनके आंगन के क्रीड़ा मृग बन गये ए कृष्ण को उठाएं तो उठें बैठाएं तो बैठें। बृज में भगवान कृष्ण का सारा क्रिया कलाप इन भाग्यशालिनी गोपियों को प्रसन्न करने के लिए ही होता हैं।जिस ब्रहम के संकेत मात्र से माया समस्त जगत को नचाती है वह अखिल भुवन का स्वामी इन गोपियों के तालियों की थाप पर ठुमक ठुमक कर नाचता है। उनके एक चुल्लू छांछ के लालच में नाच दिखाता है। इससे पूर्व महराज श्री ने गजेन्द्र मोक्ष की मार्मिक कथा सुना कर भाव विभोर कर दिया आज समुद्र मंथन मोहिनी अवतार मत्स्य अवतार वामन अवतार आदि कथाओं का विस्तृत वर्णन किया। कृष्ण जन्म की कथा के पूर्व रामावतार की चर्चा करते हुए शुक्ल जी ने कहा कि वैसे तो भागवत कृष्ण चरित्र प्रधान ग्रंथ है लेकिन कृष्ण के पहले वेद व्यास ने राम चरित का वर्णन किया। कृष्ण चरित्र इतना गूढ़ है की साधारण मनुष्य  क्या ब्रह्मा की बुद्धि भी चकरा जाती है कृष्ण लीला में ब्रह्मा नारद और इंद्र भी भ्रमित हो जाते हैं इसी लिए पहले राम चरित सुनना चाहिए। राम चरित्र सुन कर उसे आत्मसात करके जब मनुष्य का चरित्र राम जैसा हो जाएगा तब उसे कृष्ण चरित्र में प्रवेश मिलेगा।पं संदीप उपाध्याय ने प्रातः कालीन सत्र में भागवत का धाराप्रवाह संस्कृत पाठ करते हुए सारा वातावरण भक्तिमय कर दिया।पं राकेश शुक्ल कर्मकांड विभाग का विधिवत निर्वहन कर रहे हैं।आज कथा में पं सूर्य निधान पांडेय विश्वबंधु दुबे कुंजन लाल मिश्र संतोष शुक्ला श्रीकांत तिवारी छोटे लाल यादव गंगा प्रसाद सिंह पटेल प्रकाश चन्द्र मिश्र भोला दुबे छेदी लाल सिंह अनन्त त्रिपाठी बलराम त्रिपाठी रमेश केसरवानी टाटा राजेश त्रिपाठी राम मिलन ओझा विश्वनाथ मिश्र गोपालदास केसरवानी आदि क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। पं अभय शंकर दूबे हृदय शंकर दूबे अमिय शंकर दूबे व अनिय शंकर दूबे तथा अमर नाथ जी दूबे की पुत्रियों सुधा त्रिपाठी सरला त्रिपाठी तरुणा त्रिपाठी संगीता त्रिपाठी और लक्ष्मी त्रिपाठी ने समस्त क्षेत्रीय धर्म प्रेमियों से अधिकाधिक संख्या में पधारकर कर कथामृत पान करने का आग्रह किया है।यह कथा गंगा दि 14 अक्टूबर तक प्रतिदिन दोपहर 2/30 से शाम 6 बजे तक प्रवाहित होगी।

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