लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने की उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है। समिति के अधिकार क्षेत्र सीमित थे। उच्च स्तर से मानदेय बढ़ाने की घोषणा जा सकती है।
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्रों को मानदेय वृद्धि के लिए अभी थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। शासन की ओर से गठित बेसिक शिक्षा विभाग की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। इसमें समिति ने खुद को इसके लिए सक्षम न पाते हुए पूर्व की भांति मंत्री परिषद या अन्य सक्षम स्तर से इस पर आवश्यक कार्यवाही कराने पर विचार करने को कहा है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में समिति द्वारा शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने के प्रकरण का परीक्षण किया गया। समिति ने यह पाया कि शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने में बड़ा वित्तीय प्रबंधन होने के कारण पूर्व में मंत्री परिषद ने मानदेय बढ़ाने का निर्णय लिया था।
ऐसे में किसी अधिकारी व अधिकारियों की समिति के अधिकार क्षेत्र के बाहर व सक्षम स्तर न होने के कारण निर्णय लिया जाना, विधि सम्मत नहीं होने के कारण प्रकरण निस्तारित किया जाता है। समिति ने सर्वसम्माति से निर्णय लिया कि शासन को समिति के निर्णय से अवगत कराते हुए अनुरोध किया जाए कि हाईकोर्ट के 12 जनवरी 2024 के अनुपालन के लिए मंत्री परिषद या अन्य सक्षम स्तर से आगे की आवश्यक कार्यवाही कराने पर विचार करें। ऐसे में शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने का मामला एक बार फिर से शासन के पाले में चला गया है।
बता दें कि शासन की ओर से बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) निदेशक गणेश कुमार, परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी व मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक राकेश सिंह की समिति बनाई गई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
अभी खत्म नहीं हुई उम्मीद
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने की उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है। समिति के अधिकार क्षेत्र सीमित थे। उच्च स्तर से मानदेय बढ़ाने की घोषणा जा सकती है। इसमें शिक्षामित्रों को अपेक्षाकृत और बेहतर मानदेय मिल सकता है। बता दें पांच सितंबर को शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री ने एक समारोह में कहा था कि शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने के लिए समिति का गठन किया गया है। इसके आधार पर जल्द सकारात्मक कार्यवाही की जाएगी।
1.46 लाख शिक्षामित्रों को 2017 से इंतजार
प्रदेश के 1.32 लाख परिषदीय विद्यालयों में 1.46 लाख शिक्षामित्र तैनात हैं। सुप्रीम कोर्ट से उनके नियमित शिक्षक बनाने का निर्णय क्वैस करने के बाद यह शिक्षामित्र 2017 से 10 हजार रुपये महीने मानदेय पर काम कर रहे हैं। इससे पूर्व नियमित न होने वाले शिक्षामित्रों को 3500 रुपये मानदेय दिया जाता था। 2017 के बाद से वे मानदेय बढ़ाने के लिए कई बार राजधानी में आंदोलन, प्रदर्शन कर चुके हैं।