Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile

सरदार पटेल की विरासत संजोते मोदी, राजनीतिक यात्रा और शासन के सिद्धांतों की झलक

sv news


महिला सशक्तीकरण को लेकर सरदार पटेल की प्रतिबद्धता महिलाओं को नगरपालिका चुनाव लड़ने की अनुमति देने वाले उनके 1919 के प्रस्ताव से परिलक्षित हुई थी। पीएम मोदी ने महिला आरक्षण विधेयक पारित कराया, जिससे संसद में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का मार्ग प्रशस्त हुआ। वास्तव में दोनों नेताओं का जीवन राष्ट्र के लिए प्रतिबद्धता का उदाहरण है...

भारत को जब 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली, तब अंग्रेज एक खंडित उपमहाद्वीप छोड़ गए। विभाजन के आघात के साथ-साथ 560 से अधिक रियासतें भी थीं, जिनमें से प्रत्येक के अपने शासक और महत्वाकांक्षाएं थीं। नवस्वतंत्र राष्ट्र ने खुद को एक दोराहे पर पाया। एकता के अभाव में कठोर मेहनत से प्राप्त स्वतंत्रता खोखली होती। ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर एक व्यक्ति ने चुनौती स्वीकार की और वे थे सरदार वल्लभभाई पटेल-देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री।

दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प और अदम्य इच्छाशक्ति के साथ उन्होंने इन रियासतों को एक राष्ट्र में मिलाया, जिससे स्वतंत्र भारत को उसका आकार और शक्ति मिली। राष्ट्र को एकीकृत करने वाले इस महान व्यक्तित्व के अद्वितीय प्रयासों को वह मान्यता नहीं मिली, जिसके वे वास्तव में हकदार थे। दशकों बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इस विसंगति को पहचाना और पटेल की विरासत को संरक्षित करने तथा उसका सम्मान करने के लिए निर्णायक कदम उठाए।

नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक यात्रा और शासन के सिद्धांत में सरदार पटेल के प्रभाव साफ दिखते हैं। वे पटेल को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के अपने दृष्टिकोण के पीछे का पथप्रदर्शक मानते हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने सरदार पटेल की विरासत को सार्थक कार्यों के माध्यम से सम्मानित किया। उन्होंने अहमदाबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक का जीर्णाेद्धार कराया तथा उसे एक प्रमुख संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र में परिवर्तित किया।

हर साल 31 अक्टूबर को पटेल जयंती पर मोदी ने युवाओं को उनके योगदान के बारे में जानकारी देने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने शुरू किए। इनमें एकता यात्रा राष्ट्रीय एकत्व की भावना को बढ़ावा देने के एक सशक्त मंच के रूप में उभरी। सरदार पटेल के प्रति मोदी की श्रद्धा के सबसे प्रभावशाली प्रतीक के रूप में गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर स्टैच्यू आफ यूनिटी स्थापित हुई। मुख्यमंत्री मोदी द्वारा परिकल्पित और 31 अक्टूबर, 2018 को प्रधानमंत्री के रूप में उनके द्वारा अनावृत्त यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसकी 182 मीटर की ऊंचाई प्रतीकात्मक रूप से गुजरात के 182 विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है।

मोदी ने इस प्रतिमा के निर्माण में पूरे देश को शामिल करने के लिए ‘लोहा अभियान’ शुरू किया, जिसमें देश के छह लाख से अधिक गांवों के किसानों ने लोहे के औजार दान किए। इस अभियान ने राष्ट्रीय एकता की भावना को मूर्त रूप दिया। स्टैच्यू आफ यूनिटी के निर्माण के दौरान प्रारंभिक डिजाइन में सरदार पटेल को कुर्ता-पायजामा पहने दिखाया गया था। मोदी ने इस पर बल दिया कि प्रतिमा में वे धोती पहने हुए हों, जैसे किसान पारंपरिक रूप से पहनते हैं। इससे एक बड़ी चुनौती उत्पन्न हुई, क्योंकि ऊंची प्रतिमाओं का आधार आमतौर पर चौड़ा बनाया जाता है। फिर भी मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि पटेल की पोशाक में कोई बदलाव किए बिना हरसंभव उपाय किए जाएं, क्योंकि उनका मानना था कि सरदार पटेल देश के किसानों के प्रतीक हैं।

सरदार पटेल के अधूरे सपनों में से एक सरदार सरोवर बांध परियोजना मुख्यमंत्री मोदी के प्रयासों से साकार हुई। पटेल इस परियोजना की कल्पना गुजरात की बिजली-पानी संबंधी चुनौतियों के समाधान के रूप में कर रहे थे। दशकों तक बांध की ऊंचाई बढ़ाने के विरोध के कारण यह अपनी पूरी क्षमता हासिल नहीं कर सकी। मुख्यमंत्री मोदी ने इस परियोजना को पूरा करने का संकल्प लिया। इस परियोजना ने गुजरात के बिजली-पानी परिदृश्य में बदलाव लाते हुए लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया।

आज जब मोदी के नेतृत्व में निर्मित नहरों के विशाल नेटवर्क के माध्यम से नर्मदा का पानी गुजरात के प्रत्येक गांव तक पहुंच रहा है, तो यह उस सपने की पूर्ति के रूप में सामने आता है, जिसकी कल्पना पटेल ने दशकों पहले की थी। सरदार पटेल द्वारा परिकल्पित सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण पूरे भारत में तीर्थस्थलों के विकास के लिए एक मार्गदर्शक माडल बना। मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने सरदार पटेल की ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण के लिए कई पहलों का नेतृत्व किया।

सरदार पटेल का राजनीतिक रूप से एकीकृत भारत का सपना जम्मू-कश्मीर के मामले में साकार नहीं हो सका था। पटेल हमेशा चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर को भारत में पूरी तरह मिला दिया जाए, ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने अन्य रियासतों को मिलाया। जम्मू-कश्मीर एकमात्र ऐसी रियासत थी, जिसे सरदार पटेल ने व्यक्तिगत रूप से नहीं संभाला था, क्योंकि यह प्रधानमंत्री नेहरू के अधीन थी और इसलिए वहां अनुच्छेद 370 की तलवार लटकती रही। पीएम मोदी ने पटेल के एक विधान-एक निशान के सिद्धांत को आगे बढ़ाया और अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर को शेष राष्ट्र के साथ पूरी तरह एकीकृत कर दिया।

महिला सशक्तीकरण को लेकर सरदार पटेल की प्रतिबद्धता महिलाओं को नगरपालिका चुनाव लड़ने की अनुमति देने वाले उनके 1919 के प्रस्ताव से परिलक्षित हुई थी। पीएम मोदी ने महिला आरक्षण विधेयक पारित कराया, जिससे संसद में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का मार्ग प्रशस्त हुआ। वास्तव में दोनों नेताओं का जीवन राष्ट्र के लिए प्रतिबद्धता का उदाहरण है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad