प्रयागराज (राजेश सिंह)। अक्सर देखा गया है कि जब किसी शख्स के साथ कोई घटना घटती है तो वह सबसे पहले पुलिस की मदद मांगने के लिए थाने की चौखट पर पहुंचता है। आम तौर पर कहा जाए तो पीड़ित के लिए भी न्याय पाने के लिए पहली सीढ़ी थाना ही होती है... लेकिन कभी-कभी तो यहां मौजूद पुलिसकर्मी ईमानदारी का परिचय देकर पीड़ित को न्याय दिलाने में हर संभव मदद करते हैं, तो कभी-कभी भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिसकर्मी पैसे की मांग करते है जिसके कारण पीड़ित को न्याय मिलने में देरी होती है। तो कई बार ऐसा भी देखा गया है कि जब पुलिसकर्मी ही पीड़ित को थाने पर इंसान देने की बजाय वहां से भगा देते है, यहां सबसे बड़ा सवाल ही यह उठता है कि "पुलिस पीड़ित की शिकायत को दर्ज नहीं करती तो उसे क्या करना चाहिए?
पुलिस अधिकारी ने दी जानकारी
प्रयागराज के एडीजी आईपीएस प्रेम प्रकाश के मुताबिक पुलिस का कार्य शांति व्यवस्था बनाए रखने के साथ समाज में अपराध को काबू करना है। लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि महकमे में मौजूद पुलिसकर्मियों के कारण लोगों को या तो न्याय नही मिलता या फिर न्याय मिलने में काफी देरी होती है। ऐसे में विभाग के ही जिम्मेदार व वरिष्ठ अधिकारी अपनी ओर से पूरा प्रयास करते हैं, कि लोगों को न्याय मिलने में देरी न हो। क्योंकि जब भी कभी किसी इंसान के साथ कोई घटना घटित होती है तो पीड़ित सबसे पहले पुलिस को ही सूचना देता है। जिसके बाद पुलिस घटना से संबंधित जानकारी को रजिस्टर करता हैै, जिसे एफ आई आर कहते हैं। इसी के आधार पर पुलिस जांच करती है.... कई बार सुनने में आता है कि पीड़ित थाने तो पहुंचा लेकिन पुलिस ने पीड़ित की शिकायत दर्ज ना करते हुए उसे थाने से ही भगा दिया, इस समस्या से निजात पाने के लिए पीड़ित को आखिर क्या करना चाहिए?
पुलिस रिपोर्ट न लिखे तो ऑनलाइन रजिस्टर कराएं शिकायत
आईपीएस प्रेम प्रकाश द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अगर पुलिस किसी भी पीड़ित की शिकायत को रजिस्टर करने से इंकार करती है तो पीड़ित अब अपनी शिकायत को ऑनलाइन रजिस्टर करा सकता है। साथ ही पुलिस के किसी भी आला अधिकारी से इसकी शिकायत करनी चाहिए। अगर चौकी, थाना, कोतवाली और आलाधिकारी भी आपकी शिकायत ना सुने तो पीड़ित सीआरपीसी (CrPC) के सेक्शन 156-(3) के तहत मजिस्ट्रेट के पास शिकायत कर सकता है। मजिस्ट्रेट के पास अधिकार होता है कि वह पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे सकते हैं।
सीआरपीसी की धारा 156 (3)
सीआरपीसी की धारा 156 (3) में प्रावधान है, अगर पुलिस तहरीर के बाद भी केस दर्ज न करे तो कोर्ट उसे आदेश दिया जा सकता है। कई बार देखने को मिलता है कि हत्या तक के मामले भी कोर्ट के पास पहुंच जाते हैं, जिनमें पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती। अहम बात ये होती है कि कोर्ट के आदेश पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी ही पड़ती है। अगर कोर्ट का आदेश नहीं माना जाता है तो यह कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट( न्यायालय की अवमानना ) की श्रेणी में आता है।