प्रयागराज (राजेश शुक्ला)। बाघम्बरी मठ के महंत ब्रह्मलीन नरेंद्र गिरी के सील कमरा को खुलवाने की सुनवाई के दौरान जिला जज नलिन कुमार श्रीवास्तव ने सीबीआइ को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जब कमरे से अब कुछ रिकवरी नहीं करनी है। सील करने के लिए कोर्ट ने आदेश नहीं दिया था तो खुलवाने की अनुमति कैसे दे सकता है।
दरअसल जांच कर रही सीबीआइ टीम ने जिस कमरे में महंत का फंदे से लटकता शव मिला था और जहां वह रहते थे, उस कमरे को कागजात व अन्य सबूतों को इकठ्ठा करने के बाद सीबीआइ ने सील कर दिया था।
वसीयत से महंत बनने के बाद बलवीर गिरी की ओर से जिला प्रशासन को पत्र लिखा गया था कि रीत-रिवाज परंपरा के अनुसार मठ के महंत हैं और उनको मठ संचालित करने के लिए मठ के कमरे की आवश्यकता है।
जिला प्रशासन ने सीबीआइ को पत्र भेज दिया। सीबीआइ ने जवाब दिया कि कमरा खुलवाने के लिए कोर्ट का आदेश लाएं। मामले के सुनवाई के दौरान जांच कर रही टीम के सदस्य एसके नेगी के साथ सीबीआइ के अधिवक्ता कोर्ट में मौजूद थे। टीम के सदस्य एसके नेगी ने कोर्ट को बताया कि महंत के कमरे से चार शस्त्र, कारतूस, लाइसेंस और कुछ पेन ड्राइव बरामद किया गया था। शस्त्र लाइसेंस एडीएम सिटी की मौजूदगी में पुलिस को सुपुर्द किया गया और पेनड्राइव बतौर सबूत के तौर पर संकलन करके कोर्ट में पेश किया गया। अब उस कमरे से किसी प्रकार की कोई रिकवरी नहीं करनी है।
कोर्ट ने कहा कि कमरा आठ महीने से बंद है, इसको खोलने में क्या आपत्ति है? सीबीआइ के अधिवक्ता और सदस्य ने बताया कि कमरा खुलने से कोई आपत्ति नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आपने केस डायरी में कमरा बंद करने का जिक्र क्यों नहीं किया, जिस पर सीबीआइ की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि तब आपने क्यों जवाब दिया कि मठ का बंद कमरा खुलवाने का आर्डर कोर्ट से ले आइए। मौजूदा महंत का छह महीने से कोर्ट में कमरा खुलवाने के लिए प्रार्थना पत्र विचाराधीन है।