लखनऊ (दिवाकर सिंह)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि पांच साल पहले पीएसी को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा था। सुरक्षा में सेंध लगाने की साजिश हो रही थी। पीएसी की 54 कंपनियों को समाप्त कर दिया गया था। मौजूदा सरकार ने पीएसी की सभी कंपनियों को पुनर्जीवित किया है और पांच साल में 1 लाख 62 हजार से अधिक पुलिस कर्मियों की भर्ती की और प्रशिक्षण दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को लखनऊ पुलिस लाइंस में आयोजित पीएसी रिक्रूट आरक्षियों के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 से पहले पुलिस और पीएसी में जवानों की भारी कमी थी। नौजवानों को सेवा में आने से रोकने का प्रयास किया जाता था। हमने न सिर्फ नौजवानों को मौका दिया बल्कि प्रशिक्षण की क्षमता बढ़ाई। जालौन और सुल्तानपुर में नए पुलिस ट्रेनिंग स्कूल खोले। पुलिस कर्मियों को तकनीकी रूप से भी दक्ष बनाने के लिए कदम उठाए। पुलिस कर्मियों की समय से पदोन्नति हो इसकी भी व्यवस्था की गई है ताकि पूरे मनोयोग से पुलिसकर्मी अपना योगदान दें सकें और अपनी जिम्मेदारी निभा सकें। उन्होंने कहा कि पहली बार 9 प्रशिक्षण संस्थानों में बेहतर आउटडोर एवं टर्नआउट के लिए ड्रिल नर्सरी स्थापित की गई है। साइबर क्राइम के क्षेत्र में भी पहली बार प्रशिक्षण संस्थानों में स्टेट ऑफ द आर्ट साइबर क्राइम फॉरेंसिक ट्रेनिंग लैब की स्थापना की गई, जिसमें अत्याधुनिक साइबर टूल्स के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कोतवाल धन सिंह गुर्जर अत्याधुनिक पुलिस ट्रेनिंग सेंटर पीटीएस मेरठ को अत्याधुनिक स्टेट ऑफ द आर्ट हाइटेक प्रशिक्षण केन्द्र बनाया जा रहा है।
इस हाइटेक प्रशिक्षण केन्द्र पर फॉरेंसिक, ड्रोन के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। ड्रोन के प्रशिक्षण के लिए प्रदेश में पहली बार प्रशिक्षण केन्द्र बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए पुलिस प्रशिक्षण में उत्कृष्टता के लिए केंद्रीय गृह मंत्री के पदक के लिए पुरस्कार विजेताओं के नाम घोषित किए गए जिसमें यूपी केपुलिस प्रशिक्षण संस्थानों को सभी प्रदेशों में पहला स्थान मिला जबकि राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान मिला जिसमें केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान भी शामिल किए गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने पुलिस कर्मियों की अवस्थापना के लिए भी काम किया। पहले पुलिस कर्मियों की अवस्थापना सुविधाओं का अभाव था। पीएसी की आरटीसी में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गईं। दक्ष और प्रशिक्षित पुलिस बल पूरे प्रदेश की छवि को सुधारने का काम कर सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच वर्ष पहले प्रदेश की पहचान यहां होने वाले दंगों से होती थी। अपनी पहचान छुपाने के लिए मजबूर होना पड़ता था। अब लोगों की धारणाएं बदल गई हैं। यहां के लोग गर्व से कहते हैं कि हां हम यूपी के रहने वाले हैं। पिछले पांच वर्षों में प्रदेश के बारे में देश और दुनिया की जो धारणाएं थी उन धारणाओं को प्रदेश की बेहतरीन कानून-व्यवस्था के जरिए पूरी तरह बदलने का काम किया है। पुलिस और पीएसी बल ने नेशन फर्स्ट की धारणा से काम करती है। बीते पांच वर्षों में हर तबकेअंदर सुरक्षा के प्रति विश्वास बढ़ा है। अब यहां निवेश की रोजगार की असीम संभावना विकसित हुई है। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीएसी रिक्रूट आरक्षियों की दीक्षांत परेड की सलामी ली। उनके साथ कार्यवाहक डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान भी मौजूद थे। वर्ष 2018 में चयनित पीएसी के आरक्षी पद के 15487 जवान आज उत्तर प्रदेश पीएसी बल का हिस्सा बन गए। लखनऊ में आयोजित दीक्षांत परेड में 399 रिक्रूट ने हिस्सा लिया है। मुख्यमंत्री ने सभी को शपथ भी दिलाई।