मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। सूबे में वन महोत्सव के तहत पौधे लगाए गए थे। जिसमें प्रदेश सरकार द्वारा 35 करोड़ से अधिक पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया था गया था। सरकार का कहना था कि पर्यावरणीय मानकों को बेहतर बनाने में वृक्ष मददगार हैं। इसी क्रम में उरुवा ब्लाक के अमिलिया कलां में भी तालाबों और अन्य जगहों पर पौधरोपण हुआ था। ग्राम प्रधान द्वारा मनरेगा के मजदूरों से मनरेगा योजना के तहत वृक्षारोपण करवाया गया था।
वृक्षारोपण तो हो गया लेकिन देखरेख के अभाव में वही पौधे अब बिना पानी के सूखने के कगार पर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पौधरोपण के बाद भी पौधों को पानी नहीं दिया गया था। ग्रामीणों में कुछ बुजुर्गों ने बताया कि वृक्ष हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। जीवन की पूर्ति वृक्षों से प्रदान होने वाली ऑक्सीजन से ही होता है। पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए वृक्ष महत्वपूर्ण है।पौधरोपण के साथ-साथ लगाए गए पौधों का संरक्षण भी जरूरी है, जो कि यहां बिल्कुल नहीं हो रहा है। बिना पानी के पौधे सूख गए ।हैं, अब इसमें किस को जिम्मेदार ठहराया जाए। मौसम को या पौधरोपण कराने वाले व्यक्ति को..? जबकि जहां-जहां भी पौधरोपण किया गया है, वहां पानी का भी साधन है उसके बावजूद भी पौधे उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।