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प्रयागराज : महाधिवक्ता कार्यालय मे पीडब्ल्यूडी के विद्युत यांत्रिक खंड की लापरवाही से भड़कीं आग की लपटें

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के नौ मंजिला महाधिवक्ता कार्यालय भवन में आग के पीछे पीडब्ल्यूडी के विद्युत यांत्रिक खंड की बड़ी लापरवाही सामने आई है। वर्ष 2012 में निर्माण पूरा होने के बाद एडवोकेट जनरल को हैंडओवर किए गए इस भवन में पिछले नौ साल से स्विचिंग, नेटवर्किंग, वायरिंग, पैनल बोर्ड की मरम्मत ही नहीं कराई गई। इतना ही नहीं, अनुरक्षण के लिए 4.60 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत होने के बाद भी यांत्रिक खंड के अभियंताओं ने खराब वायरिंग बदलवाने की जहमत नहीं उठाई। भवन में शार्ट सर्किट से आग लगने का अनुमान है। मरम्मत और देखरेख के अभाव में महाधिवक्ता कार्यालय की खराब हो चुकी वायरिंग और नेटवर्किंग प्वाइंट को बदलने को लेकर कई बार प्रमुख सचिव न्याय से लेकर मुख्य सचिव तक बात पहुंचाई गई। लेकिन, नतीजा सिफर ही रहा। भवन महाधिवक्ता को हस्तांतरित किए जाने के एक वर्ष बाद यानी 2013 तक कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस ने अनुरक्षण कार्य किया। इसके बाद से ही इस भवन के रखरखाव और अनुरक्षण का काम पूरी तरह ठप था। पांच साल तक अनुरक्षण का कार्य ठप रहने की शिकायत 2018 में तत्कालीन मुख्य सचिव से की गई। तब उन्होंने इस भवन के अनुरक्षण की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी को सौंपने का निर्देश दिया, लेकिन इस भवन के हस्तांतरण में भी लंबा समय लगा दिया गया। 10 मार्च 2021 को इस भवन के सिविल कार्यों के अनुरक्षण कार्य को पीडब्ल्यूडी के निर्माण खंड-एक को हस्तांतरित किया गया। जबकि, विद्युत संबंधी कार्यों के रखरखाव और अनुरक्षण के लिए इस भवन को 18 सितंबर 2021 को पीडब्ल्यूडी के विद्युत यांत्रिक खंड को हस्तांतरित किया गया। लेकिन पीडब्ल्यूडी ने अनुरक्षण में दिलचस्पी नहीं दिखाई। बीते आठ जून को सरकार ने 4.60 करोड़ रुपये महाधिवक्ता कार्यालय के सिविल और विद्युत कार्यों के अनुरक्षण के लिए स्वीकृत किया। इसमें से 1.15 करोड़ रुपये अवमुक्त भी कर दिए गए। इसमें 60 लाख रुपये विद्युत संबंधी कार्यों के लिए अवमुक्त किए गए हैं। इसके बाद भी विद्युत यांत्रिक खंड के अभियंताओं ने काम कराना तो दूर इसके लिए अभी तक तकनीकी स्वीकृति तक नहीं ली है। ऐसे में इस भवन के विद्युत कार्यों की मरम्मत व देखरेख किस तरह की जा रही थी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। साल भर पहले ही इस महाधिवक्ता कार्यालय भवन को पीडब्ल्यूडी को हस्तांतरित किया जा चुका है। इसके बाद भी लिफ्ट, पैनल और अन्य कार्यों के लिए विद्युत यांत्रिक खंड के अभियंता हमें बुलाते रहे। लिफ्ट की मरम्मत की धनराशि नहीं दी जा रही थी, तो इसे भी सीएंडडीएस से यह कहकर दिलाया गया कि बजट आने के बाद भुगतान कर दिया जाएगा।

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