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पूर्व सांसद की कभी बोलती थी तूती, अतीक अहमद के अर्श से लेकर फर्श तक का सफर

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। पूर्व सांसद अतीक अहमद की कभी तूती बोलती थी और अब अर्श से लेकर फर्श तक का सफर है। माफिया अतीक अहमद का किसी जमाने में साम्राज्‍य कायम था। न केवल यूपी बल्कि अन्‍य प्रदेशों में भी दबदबा था। अब यह बीते समय की बात हो गई है। अतीक गुजरात जेल में बंद है। उसका भाई अशरफ बरेली में सलाखों के पीछे है। छोटा बेटा नैनी कारागार में बंद है और बड़ा बेटा फरार है, जिसकी पुलिस को तलाश है। 
माफिया अतीक अहमद। यह वह नाम है जिसकी कभी प्रयागराज ही नहीं, बल्कि प्रदेश के कई जिलों में तूती बाेलती थी। दूसरे राज्यों में भी माफिया का दबदबा था। लेकिन अब माफिया के साथ उसके पूरे कुनबे की जमीन खिसक गई है। माफिया समेत परिवार के तीन लोग सलाखों के पीछे हैं, जबकि एक को सीबीआइ तलाश रही है। माफिया अतीक अहमद की 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले गिरफ्तार हुई थी। नैनी जेल में रखा गया था, लेकिन बाद में सुरक्षा कारणों की वजह से उसे बस्ती जेल भेज दिया गया था। यहां से उसे गुजरात की साबरमती जेल भिजवा दिया गया।
अतीक के बाद उसके छोटे भाई अशरफ की गिरफ्तारी हुई। उसे पहले नैनी और फिर बरेली जेल भिजवाया गया। प्रापर्टी डीलर माेहित जायसवाल को अगवा करने के मामले में माफिया के बड़े बेटे उमर के खिलाफ 2019 को लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया गया था। तब से वह फरार है। उस पर दो लाख का इनाम है और उसकी तलाश सीबीआइ को है। इसके बाद से माफिया अतीक का परिवार उबर नहीं सका। 
प्रदेश में वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 31 दिसंबर 2021 को माफिया के छोटे पुत्र अली अहमद के खिलाफ करेली थाने में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस से बचने के लिए उसने भी कई ठिकाने बदले और लगभग सात माह बाद उसने न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। अब वह नैनी जेल में है। सूत्रों के मुताबिक वह अधिक समय तक नैनी जेल में नहीं रहेगा, बल्कि उसे भी सुरक्षा कारणों से प्रदेश की दूसरी जेल में भिजवाया जाएगा। 
माफिया अतीक अहमद के गुर्गे प्रदेश के कई जनपदों की जेलों में बंद हैं। तीन दर्जन से अधिक गुर्गाें को कौशांबी, फतेहपुर, चित्रकूट, बांदा, मीरजापुर, बरेली, प्रतापगढ़, कानपुर, फतेहगढ़, महोबा, गाजीपुर, वाराणसी समेत कई जेलों में रखा गया है। खास बात यह है कि किसी भी एक जेल में माफिया के दो गुर्गें नहीं हैं। नैनी जेल में भी माफिया के गिने-चुने तीन-चार गुर्गे ही बचे हैं।

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