प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज में गंगा यमुना मे आई बाढ़ की वजह से 48000 बेघर हो गए हैं और साढ़े तीन लाख आबादी प्रभावित हो गई है। गंगा-यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा था। हालांकि आज सोमवार 29 अगस्त की सुबह दोनों नदियों का जलस्तर स्थिर हो गया है। फिलहाल प्रयागराज में बाढ़ ने भयावह स्थिति उत्पन्न कर दी है। लगभग 42 मोहल्ले और 128 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हैं। दोनों नदियों के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले 70 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने कमरे छोड़ दिए हैं। 21 बाढ़ राहत शिविरों में लोगों ने शरण ले रखी है। 1401 परिवारों के 6512 सदस्य यहां शरणार्थी बने हैं। बाढ़ प्रभावित 48 गांवों व 11 मोहल्लों में 269 नावें तथा 24 स्टीमर प्रशासन ने लगाए हैं। बाढ़ के कहर से प्रयागराज में गंगा-यमुना नदियों के तटीय क्षेत्रों में दहशत का माहौल है। गंगा और यमुना के किनारे बसे शहरी मोहल्लों के साथ ही गांवों में भी हालात बिगडऩे लगे हैैं। अभी तक सिर्फ शहर के ही विभिन्न मोहल्लों के बाढ़ पीडि़तों को राहत शिविरों में जा रहे थे मगर स्थिति भयावह हुई तो गांवों के लोगों को भी राहत शिविरों में शिफ्ट करना पड़ा। गंगापार में सोरांव के गांवों में हालत ज्यादा बिगड़ चुकी है। यहां के सराय जयराम बाढ़ शरणालय में 34 बच्चों समेत 410 लोगों को रखा गया। इसी तरह उधोपुर की बाग राहत शिविर में 90 व मौया की बाग में 70 लोग शरण ले चुके हैैं। बारा के अनंतराम डिग्री कालेज भीटा में 50 परिवारों के 300 लोगों को शरण दिया गया है। शहर के ऐनीबेसेंट राहत शिविर में 980, ऋषिकुल में 300, कैंट मैरिज हाल में 493, स्वामी विवेकानंद में 182, वाईएमसीए इंटर कालेज में 556, महबूब अली कालेज, 251, सेंट जोसेफ हाईस्कूल में 345, यूनिटी पब्लिक स्कूल में 105, माथुर वैश्य धर्मशाला में 130, सहारा पब्लिक स्कूल में 126, कैंट हाईस्कूल सदर बाजार में 1156, रीगल गेस्ट हाउस में 545, डीएवी इंटर कालेज में 218, ईश्वर शरण सलोरी में 60, जमुना क्रिश्चियन कालेज गऊघाट में 50, आइपीईएम स्कूल में 145 लोग हैैं। बताते हैैं कि तटीय क्षेत्रों में स्थित घरों में अब भी हजारों की तादाद में लोग फंसे हैैं। ज्यादातर लोग अपने घर की महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर भेजकर खुद मकान की सुरक्षा के लिए छतों पर डेरा जमाए हैैं। छोटा बघाड़ा, सलोरी, दारागंज, नेवादा, गंगानगर में यह स्थिति देखने को मिली। अभी तक 20 बाढ़ राहत शिविर संचालित किए जा चुके हैैं। हर शिविर में क्षमता से ज्यादा शरणार्थी पहुंच चुके हैैं। सबसे ज्यादा शरणार्थी कैंट हाईस्कूल सदर बाजार में 1156 हैैं। शरणार्थियों की संख्या बढऩे के कारण व्यवस्थाएं कम पडऩे लगी हैैं। खासतौर पर रहने के लिए बिस्तर की कमी हो गई है। मोबाइल टायलेट की व्यवस्था होने के बाद भी शौचालय के लिए कतार लगानी पड़ रही है। समय से न नाश्ता और न ही भोजन मिल पा रहा है। छोटे बच्चों को दूध तक मिलना मुश्किल हो गया है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में पीड़ितों की मदद के लिए प्रशासन की टीमें डटी हुई हैं। हर संभव सुविधा मुहैया कराई जा रही है।