मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय/श्रीकान्त यादव)। करवा चौथ के दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास करती हैं और रात को चंद्र दर्शन करने के बाद ही कुछ खाती हैं. इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर दिन गुरुवार को रखा जाएगा। ज्योतिषियों की मानें तो इस बार करवा चौथ पर ग्रहों की विशेष स्थिति बन रही है।
करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास करती हैं और रात को चंद्र दर्शन करने के बाद ही कुछ खाती हैं। इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर दिन गुरुवार को रखा जाएगा। आचार्य पंडित प्रदीप दुबे वह पंडित आनंद पाण्डेय की मानें तो इस बार करवा चौथ पर ग्रहों की विशेष स्थिति बन रही है। करवा चौथ पर 13 साल बाद एक अद्भुत संयोग भी बन रहा है।
करवा चौथ पर ग्रहों की शुभ स्थिति
इस समय गुरु देव बृहस्पति, बुध और शनि स्वगृही यानी अपनी-अपनी राशि में विराजमान हैं, जिससे सुख और सौभाग्य पाने में सरलता होगी। सूर्य और बुध भी एक साथ होंगे और उन पर गुरु का प्रभाव भी होगा। इससे पति-पत्नी का आपसी संबंध और विश्वास मजबूत होगा। शुक्र-बृहस्पति का संबंध भी इस पर्व पर बना रहेगा, जिससे की गई प्रार्थना शीघ्र स्वीकार होगी। 13 वर्ष के बाद मीन राशि का बृहस्पति इस पर्व को ज्यादा सुखद बनाएगा। इससे वैवाहिक जीवन की तमाम अड़चनें भी दूर हो जाएंगी।
क्या करें, क्या ना करें
करवा चौथ के व्रत पर चंद्रमा के दर्शन के लिए थाली सजाएं। थाली में दीपक, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, रोली और चावल की बनी मिठाई या सफेद मिठाई रखें। संपूर्ण श्रंगार करें और करवे में जल भरकर मां गौरी और गणेश की पूजा करें। चंद्रमा के निकलने पर छन्नी से या जल में चंद्रमा को देखें और अर्घ्य दें। करवा चौथ व्रत की कथा सुनें।