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भइयां में बरसा सोलह कलाओं का अमृत,अन्य प्रांतों से आये सुन्दरसाथों ने रचाया राधा - कृष्ण रास

 


मेजा,प्रयागराज। (हरिश्चंद्र त्रिपाठी)

सोलह कलाओं से परिपूर्ण पूर्ण प्रकाशित चंद्रमा की शारदीय पूर्णिमा की धवल रोशनी में देश के विभिन्न प्रान्तों से आये हुए सुन्दरसाथ श्रद्धालुओं ने राधा -कृष्ण रास रचाया।श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर भइयां (भावतीपुरी धाम फूलपुर)  में शरद पूर्णिमा के अवसर पर रास-गरबा का आयोजन किया गया, जिसमें गुजरात,महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़,पश्चिम बंगाल,उड़ीसा,गोवा की महिला श्रद्धालुओं ने कृष्ण-राधा प्रेम व भक्ति में सराबोर रहते हुए एकात्म भाव से रास-गरबा कर श्री कृष्ण भगवान की सोलह कलाओं का रसपान किया।मन्दिर में रात 10 बजे से भजन मंगल पाठ का आयोजन आरंभ हुआ और रात के 2 बजे तक चलता रहा।गाँव के सभी श्रद्धालु व भक्त जिन्हें प्रणामी संप्रदाय में सुन्दरसाथ कहते हैं,वे सभी उपस्थित होकर भजन संध्या,रास-गरबा और मन्दिर में पधारे राजश्यामा(राधा-कृष्ण)के दिव्य प्रतीकात्मक स्वरूप का दर्शन किया।

 


*कई महीने से चल रही थी तैयारी-* विभिन्न प्रान्तों से मन्दिर में आये महिला सुन्दरसाथों ने बताया कि यह (भावतीपुरी धाम फूलपुर) भइयां श्री परमहंस महराज की तपोस्थली है।यहां श्री राधा रानी अपने प्रियतम श्री कृष्ण भगवान के साथ विराजमान हैं।प्रणामी  संप्रदाय को मानने वालों के लिए यह भूमि साक्षात ब्रज है।उन्होंने कहा कि,इस मंदिर और तपस्थली में आने के लिए हम लोगों ने कई महीनों से तैयारी बना रहे थे। मन मे बड़ी इच्छा थी। राज जी के दर्शन की इसलिए आज राजश्यामा जी ने हमें बुलाया है। श्रद्धालुओं का कहना था कि अभी वे लोग 13 अक्टूबर तक रहकर परायण पाठ करेंगे।

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*लप्सी व खीर के भोग-प्रसाद का हुआ वितरण-* श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर भइयां में वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है।यहां शरद पूर्णिमा के दिन गांव से एकत्रित किये गए सामग्री से लप्सी बनाकर श्री राजश्यामा व परमहंस महराज को भोग लगता है।खीर बनाई जाती है और उसका प्रसाद वितरण सभी श्रद्धालुओं में किया जाता है।इस बार यह आयोजन बड़े धूमधाम से आयोजित किया गया।
बता दें कि इस मंदिर की शाखा मध्यप्रदेश के पन्ना व रीवा के दुगवां में भी है।अब श्री कृष्णप्रणामी ट्रस्ट के अधीन इसका संचालन होता है। मन्दिर के महंत ब्रह्मानंद ने सभी भक्तों को शरदपूर्णिमा पर्व की शुभकामनाएं देते हुए आशीर्वाद दिया।पूर्ण चन्द्र की चाँदनी में मन्दिर परिसर में श्री परमहंस महराज जी द्वारा रचित रसानंद सागर"गोटा" के भजनों का गायन व रसास्वादन करते हुए परिक्रमा लगाई गयी।
इस दौरान सुन्दरसाथ राजेश मिश्रा,आद्या प्रसाद,नंदलाल मिश्र,राजेश्वरी तिवारी,कमलेश मिश्र,कौशलेश मिश्र,मलेटर मिश्र,बबोल तिवारी,पूर्व वरिष्ठ पुजारी लालपति तिवारी,रजोल मिश्र,तौलन दुबे,मुनीम मिश्र,संजय शेखर,तरुण वाचस्पति मिश्र, राजेश दुबे,अनुराग मिश्रा, अभिषेक मिश्रा,मन्दिर के पुजारी दुबे जी,हृदयशाह मिश्र,नीरज मिश्रा सहित आसपास व दूर दराज से आये सभी सुन्दरसाथ मौजूद रहे।

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