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टोंस नदी को भी गंगा नदी की तरह स्वच्छ एवं पवित्र बनाए रखने में योगदान दें - योगेश

 मेजा के कोना में टोंस नदी आरती महोत्सव आयोजित


Svnews

मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)

देवोत्थान एकादशी के अवसर पर मेजा विकास खंड के कोना ग्राम पंचायत में आयोजित टोंस नदी की आरती महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के वरिष्ठ नेता योगेश शुक्ल ने कोना गांव सहित प्रयाग जनपद के समस्त नागरिकों के सम्पूर्ण मंगल के लिए जगत पिता भगवान विष्णु से प्रार्थना किया है।टोंस नदी की आरती प्रारंभ करने के लिए आयोजको का अभिनंदन करते हुए कहा कि गंगा हमारी पवित्रतम नदी है और देश की सभी नदियां गंगा स्वरूपा है।जिसमे टोंस नदी भी गंगा स्वरूपा है।उन्होंने कहा कि

 कोना के सामने से टोंस नदी की बहती जल धारा काम समय में थोड़ी दूर पर गंगा में मिलकर गंगा बन जायेगी ।इस लिए हम सब का कर्तव्य है की टोंस नदी के प्रवाह और पवित्रता की उतनी ही चिंता करे जितनी की गंगा की करते है।

 श्री शुक्ल ने कहा की हम सभी सनातनी हिंदू आदिकल से प्रकृति के सभी अंशो में दैवीय शक्तियों का आध्यात्मिक साक्षात्कार करते हुए उनके साथ एकात्मता का अनुभव करते रहे है । नदियों,जलाशयो, वनों, वृक्षों, वनस्पतियों, पहाड़ों, खेतों, पशुओं आदि के बारे में हमरा दैवीय दृष्टि कोण हमारे आध्यात्मिक जीवन दर्शन से पोषित रहा है ।प्रकृति की समस्त शक्तियों के प्रति हमारी आस्था और हमारा विश्वास भारतीय जीवन दर्शन की सबसे अनूठी बात रही है ।

 इस अवसर पर श्री शुक्ल ने कहा कि प्रकृति की शक्तियों के प्रति हम सब का विनम्र भाव ने ही  देश के प्रत्येक गांव एवम नगरों में ग्राम देवताओं एवम नगर देवताओं ने प्राण प्रतिष्ठा की है। हजारों साल से ग्राम एवम नगर देवताओं ने मनुष्य कृत एव प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ मनो वैज्ञानिक सुरक्षा कवच  उपलब्ध कराया है।श्री योगेश शुक्ल ने प्रत्येक ग्राम वासियों का आवाहन किया कि अब आने वाले वर्षो में देवोत्थान एकादशी के दिन सारे गांव के सारे लोग मिलकर ग्राम देवता व ग्राम देवी की सामोहिक पूजा एवम उत्सव मनाएं इससे हमारी सामूहिक चेतना जागेगी और हम सब उन सामाजिक  प्रश्नो का उत्तर भी खोज लेंगे जो आज हमें  अनुत्तरित दिखाई पड़ते हैं।कार्यक्रम में आयोजक विनय शुक्ल ने सब के प्रति आभार प्रकट किया।

 इस अवसर पर

अमरेश तिवारी, रंग लाल निषाद, राकेश तिवारी,

हृदेश मिश्रा, शशि कांत पाण्डेय, हरी मोहन पाण्डेय, राम चंद्र शुक्ल , शिव कैलाश निषाद आदि मौजूद रहे।

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