प्रयागराज (राजेश सिंह)। ज्योतिष्पीठ के पीठोद्धारक ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती के 150वें जन्मोत्सव पर सनातन धर्म के समक्ष व्याप्त चुनौतियों पर मंथन करते हुए उसके उत्थान की राह प्रशस्त की जाएगी। शंकराचार्य आश्रम अलोपीबाग में 29 नवंबर को जन्मोत्सव व आराधना महोत्सव का शुभारंभ होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे। इनके अलावा पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय सहित तमाम संत, सनातन धर्म के विद्वान व सामाजिक कार्यकर्ता महोत्सव में शामिल होंगे। आठ दिसंबर तक चलने वाले महोत्सव में श्रीनाथ पीठाधीश्वर स्वामी आचार्य जितेंद्रानंद जी महाराज श्रीमद्भागवत कथा का बखान करेंगे।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने शंकराचार्य आश्रम में रविवार को आयोजित पत्रकारवार्ता में बताया कि प्राकृतिक आपदा, स्थानीय राजाओं के द्वंद्व के कारण उत्तराखंड के चमौली जिला स्थित ज्योतिष्पीठ 165 वर्ष तक खाली रही। संतों, विद्वानों व राजाओं ने आपसी सामंजस्य से 1941 में स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती इसके पीठाधीश्वर बनाए गए। आराधना महोत्सव में ज्योतिष्पीठ के अभी तक के शंकराचार्यों का वंदन करते हुए सनातन धर्म के उत्थान में उनके द्वारा किए गए योगदान पर चर्चा की जाएगी। साथ ही सनातन धर्म की चुनौतियों पर मंथन करने के लिए संत व विद्वान एकत्र होंगे।
महोत्सव के तहत तीन दिसंबर को स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती का जन्मोत्सव तथा राधामाधव का वार्षिक पाटोत्सव मनाया जाएगा। चार दिसंबर को ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी विष्णुदेवानंद का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। वहीं, सात दिसंबर को ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी शांतानंद सरस्वती की विशेष आराधना होगी। साथ ही शिखा चोटी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। महोत्सव के अंतिम दिन विद्वत सम्मेलन का आयोजन होगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया जाएगा। इस दौरान अखिल भारतीय संत समिति व गंगा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती सहित कई महात्मा मौजूद रहे।