प्रयागराज (राजेश सिंह)। कभी अभावों का पर्याय रहा यमुनापार का इलाका अब नई पहचान के साथ सामने होगा। यह पर्यटन का केंद्र बनने जा रहा है और मुख्य आकर्षण होंगे डाल्फिन एवं काले हिरन। गंगा में कछुआ एवं डाल्फिन सेंचुरी के निर्माण के साथ मेजा के चांद खमरिया स्थित काले हिरन के क्षेत्र को संरक्षित करने का निर्णय लिया गया है। इतना ही नहीं, इनके साथ ही अन्य प्रमुख स्थलों को जोड़ते हुए इको टूरिज्म सर्किट का निर्माण कराया जाएगा।
मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत का कहना है कि इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग की ओर से इनके अलावा एक पार्क को भी पक्षी विहार के रूप में विकसित किया जाएगा। इनके लिए अनुमति मिल गई है। इनका प्रस्ताव एक महीने के भीतर तैयार हो जाएगा। इसके बाद शासन को भेजा जाएगा। महाकुंभ-2025 से पहले ये काम पूरे होने हैं।
पूर्व में हुए सर्वे के दौरान गंगा में संगम तथा आसपास के क्षेत्रों में सात सौ से अधिक डाल्फिन पाई गई थीं। इसके बाद इस पूरे इलाके को डाल्फिन के लिए संरक्षित करने की योजना बनाई गई थी लेकिन 2019 में मेजा से भदोही के बीच करीब 30 किमी के दायरे में कछुआ सेंचुरी बनाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए नोटिफिकेशन भी हो चुका है।
इसकी वजह से डाल्फिन सेंचुरी को फतेहपुर शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया था लेकिन मेजा के आसपास के क्षेत्र को ही डाल्फिन के लिए अनुकूल बताया जा रहा है। इसके अलावा पर्यटन के लिहाज से भी प्रयागराज में ही डाल्फिन सेंचुरी बनाने का निर्णय लिया गया है। ऐसे में मेजा से भदोही के बीच ही कछुआ एवं डाल्फिन सेंचुरी बनाने का निर्णय लिया गया है।
मेजा में पाए जाते हैं काले हिरण
संरक्षित वन्य जीवों में शामिल बड़ी संख्या में काले हिरन मेजा के चंाद खमरियां में पाए जाते हैं। वन विभाग की ओर से पूरे क्षेत्र को संरक्षित किया गया है लेकिन वे गांवों में घूस जाते हैं। इससे इनके शिकार की भी घटनाएं अक्सर होती हैं। ऐसे में इन्हें संरक्षित करने के साथ पूरे क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कवायद लंबे समय से की जा रही है। 2016 में इस बाबत सर्वे भी कराया गया था। इसी क्रम में अब कुंभ से पहले पूरे क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पहल की गई है।