मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
क्षेत्र में नए साल की धूम है। कोरोना के कारण दो साल से घरों में दुबके लोग ख़ुशियाँ मनाने निकल पड़े हैं । न कोई खर्च की परवाह, न छुट्टियों की। परिवार सहित सबने ख़ुशियों को दोगुना करने की ठान ली है।नदियां रातभर चिल्लाती रहती हैं और तारे बुझते ही नहीं। चाँद नदी को आइना बनाकर अपनी सुंदरता पर इठलाता रहता है। सूरज दबा- दबा सा रहता है। कभी दिखता है, कभी छिप जाता है।लोगों की खुशियों में बाधा डालने के लिए एक बार फिर कोरोना ने अपने पंख फैलाना शुरु कर दिया है, लेकिन हम भारतीयों का आनंद ही तमाम आफ़तों का इलाज है, इसलिए भीतर की ख़ुशी बनाए रखना है। इसी से इम्युनिटी बढ़ती है और यही ईश्वर की हमें सबसे बड़ी देन है।
बीते बरस जो कुछ भी हुआ, जैसा भी हुआ, ये सब बातें करने का आज कोई मतलब नहीं है। परीक्षा की तरह जो पेपर हो गया उसे भूल जाइए।अगले की तैयारी कीजिए की तर्ज पर नए साल का स्वागत पूरे जोश के साथ करिए और निश्चित तौर पर यह जोश, ये उत्साह- उमंग और इन सबसे उपजी ख़ुशियाँ पूरे साल ही नहीं,बरसों- बरस बनी रहेगी, ऐसा विश्वास है और ईश्वर से प्रार्थना भी है।