निबैया में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भक्तों ने सुनी भक्त प्रह्लाद चरित्र, राम जन्म व कृष्ण जन्म की कथा
मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी/राजेश गौड़)
क्षेत्र के निबैया गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास शम्भु शरण महाराज ने व्याख्यान करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का केंद्र है आनंद । आनंद की तल्लीनता में पाप का स्पर्श भी नहीं हो पाता। भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप नामक दैत्य ने घोर तप किया। तप से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए व कहा कि मांगों जो मांगना है। यह सुनकर हिरण्याक्ष ने अपनी आंखें खोली और ब्रह्माजी को अपने समक्ष खड़ा देखकर कहा-प्रभु मुझे केवल यही वर चाहिए कि मैं न दिन में मरूं, न रात को, न अंदर, न बाहर, न कोई काट सके, न आग जला सके, न ही मैं पानी में डूबकर मरूं, सदैव जीवित रहूं। उन्होंने उसे वरदान दिया।
हिरणकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरण्यकश्यप भागवत विष्णु को शत्रु मानते थे।उन्होंने अपने पुत्र को मारने के लिए कई प्रकार के जतन किया,लेकिन भगवान ने अपने भक्त की हमेशा रक्षा की।अंत में उसने भक्त प्रह्लाद को एक खंभे में बांधकर मारने के लिए तलवार उठाया था कि खंभा फट गया उस खंभे में से विष्णु भगवान नरसिंह का रूप धारण करके जिसका मुख शेर का व धड़ मनुष्य का था । प्रगट हुए भगवान नरसिंह अत्याचारी दैत्य हिरण्याक्ष को पकड़ कर उदर चीर कर वध किया।उन्होंने गजेंद्र मोक्ष राम जन्म व कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि तालाब में स्नान करने गए गजेंद्र का पैर घड़ियाल ने पकड़ लिया था जिसकी पीड़ा से गजेंद्र परेशान थे। और उन्होंने भगवान का स्मरण किया जिसके बाद भगवान नारायण पहुंचकर गजेंद्र को मुक्त कराया।
इसके बाद अयोध्या में जन्मे भगवान श्री राम की कथा सुनाई। इसमें बताया कि राजा दशरथ महारानी कौशल्या के घर जन्मे भगवान श्री राम ने मर्यादा स्थापित कर मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये।व्यास ने श्री राम के चरित्र का वर्णन संगीतमय किया। इसके बाद उन्होंने कृष्ण जन्म की कथा सुनाई। वसुदेव देवकी के बंदी गृह में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ जिसके बाद बसु देव जी ने बालक को लेकर गोकुलधाम नंद बाबा यशोदा के पास छोड़ आए और वहां कृष्ण जन्म का उत्सव मनाया गया। इसी तर्ज पर आयोजक ओ पी शुक्ला और विकास शुक्ला ने पूरे पंडाल को दुल्हन की तरह सजाया था,मानों सचमुच में श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में जन्मोत्सव मनाया जा रहा हो।भक्तों ने खास कर महिलाएं कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर जमकर नृत्य किया। जन्मोत्सव में भगवान का दूध, दही, शहद, बूरा, गंगाजल, यमुना जल, केसर, पुष्प आदि से अभिषेक किया गया।
जन्मोत्सव के मौके पर कथा व्यास शम्भु शरण महाराज ने स्वयं व्यास गद्दी से उठकर श्रोताओं को मिश्री लुटाई।इस धार्मिक प्रसंग को आत्मसात करने के लिए भक्त देर रात तक भक्ति के सागर में गोते लगाते रहे। इस दौरान सभी भक्तों ने भागवत की आरती उतारी और प्रसाद का वितरण किया गया।आज की कथा में प्रमुख रूप से आदित्य प्रसाद तिवारी,मनीष पांडेय, डॉक्टर उमाशंकर तिवारी,प्रवीण त्रिपाठी,लाला मिश्र,दिनेश मिश्र, बऊ मिश्र, सेठ मदरा, मानिक तिवारी,सुंदर तिवारी,राजेंद्र तिवारी,राजकुमार शुक्ल,श्याम कुमार शुक्ल,अशोक शुक्ला,विष्णुकांत शुक्ला,विश्वास शुक्ला,अशोक शुक्ला आदि शामिल रहे।