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मोक्ष का शाश्वत साधन है श्रीमद्भागवत महापुराण -शंभु शरण महाराज

 सुदामा चरित्र एवं परीक्षित मोक्ष की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

-भागवत कथा के समापन पर खेली गई फूलों की होली

- भक्तिमय रस में डूबा रहा पूरा भागवत पंडाल



मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)

क्षेत्र के निबैया गांव में ओपी शुक्ला व विकास शुक्ला के संयोजन में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का समापन शनिवार को हुआ। अंतिम दिन श्रीमद्भागवत का रसपान पाने के लिए भक्तों का जनसैलाब कथा स्थल पर उमड़ पड़ा।कथा व्यास आचार्य शंभु शरण महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण करवाया, जिसमें प्रभु कृष्ण के 16108 शादियों के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथाएं सुनाई। सुदामा चरित्र व राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनकर श्रोता भक्ति भाव में डूब गए।संगम नगरी प्रयागराज से पधारे आचार्य शंभु शरण जी महाराज ने सुदामा कृष्ण मित्रता प्रसंग को सुनाते हुए कहा जब द्वारपाल ने द्वारिकाधीश से जाकर कहा कि प्रभु द्वार पर एक ब्राह्मण आया है और आपसे मिलना चाहता है। वह अपना नाम सुदामा बता रहा है। यह सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। यह सब देख वहां लोग यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर सुदामा में ऐसा क्या है जो भगवान दौड़े-दौड़े चले आए। कृष्ण ने बचपन के मित्र को देख उनके आंखों से आंसू आ गए।उनका पांव धोकर स्वागत किया।सुदामा जी ने भगवान के पास जाकर भी कुछ नहीं मांगा। भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा के बिना जानकारी में उनको सब कुछ देते हैं।

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 कथा वाचक ने सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। इसके बाद उन्होंने परीक्षित मोक्ष की कथा का श्रवण कराया। कहा कि किस तरह से कलयुग के प्रभाव में आकर राजा परीक्षित ने प्यास से व्याकुल ऋषि द्वारा अपमान समझ उनके गले में मरे सर्प को डाल दिया।जानकारी होने पर ऋषि के पुत्र शृंगी ऋषि ने राजा परीक्षित को श्राप दे दिया।श्राप से मुक्ति के लिए राजा परीक्षित ने शुकदेव महाराज से श्रीमद्भागवत कथा सुनी और उनको मृत्यु से भय खत्म हो गया।तभी से हम सबको भागवत कथा का रसपान करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।कथा के समापन के अवसर पर मथुरा वृदावन से पधारे सुमित अग्निहोत्री और बाबू शर्मा के द्वारा भव्य सजीव झांकी सजाई गई जिसमें कृष्ण के वेश में खुशी शुक्ला,राधा के वेश में तृप्ति पांडेय,सुदामा के वेश में  ने अपनी सुंदर प्रस्तुति की और फूलों की होली खेलकर सभी का मन मोह लिया  जिसमें पूरा भागवत पंडाल भक्तिमय रस में डूब गया। वही संगीतकार विकास पांडेय ने एक से बढ़कर एक भक्तिमय भजनों को गाया। 


इनके साथ आर्गन पर रमन, तबला पर सत्यम पांडेय, विंजो पर कृष्ण कुमार पांडेय व पैड पर आशीष ने संगत किया। वहीं पांडेय साउंड सिस्टम के संचालक हिमांशु पांडेय की तकनीकी तौर पर योगदान सराहनीय रहा। आयोजक व सह आयोजक गणों ने कथा व्यास, यज्ञाचार्य, मंच आचार्य तथा पूरे कार्यक्रम की कवरेज के लिए फोटोग्राफरों, मीडिया बंधुओं का आभार व्यक्त करते हुए सम्मानित किया। कथा का समापन मुख्य यजमान (शुक्ला बंधु)लालजी शुक्ल और श्यामजी शुक्ल सपत्नीक द्वारा व्यासपीठ एवं भागवत पुराण की  आरती पूजन के साथ के साथ हुआ।इस मौके पर प्रमुख रूप से मुन्नन शुक्ला,अशोक मिश्रा,बाबा शुक्ला,दिलावर सिंह,योगेश गुप्ता,मनीष पांडेय,आलोक तिवारी,अमरनाथ मिश्र,राजकुमार शुक्ल,श्याम कुमार शुक्ल,अशोक शुक्ल,विष्णुकांत शुक्ल,विश्वास शुक्ल,संतोष शुक्ला,वीरेंद्र शुक्ला,दिनेश शुक्ला आदि मौजूद रहे।

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