प्रयागराज (राजेश शुक्ला)। स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ लगातार बयान दे रहीं सपा ने ऋचा सिंह को पार्टी से निकाल दिया है।
अखिलेश यादव ने पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं ऋचा सिंह को निष्कासित कर दिया है। ऋचा सिंह सपा के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के रामायण पर दिए बयान की आलोचना की थी। इससे नाराज सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ऋचा सिंह के खिलाफ यह कार्रवाई की है। निष्कासन के बाद ऋचा सिंह ने कहा कि सपा महिला विरोधी है। जब काल मनुष्य पे छाता है तो पहले विवेक मर जाता है।'
ऋचा सिंह कहा,' मुझसे कहा गया था कि स्वामी प्रसाद मौर्य का विरोध न करों, मैं नहीं मानी तो बिना नोटिस, बिना सुनवाई निकाल दिया'। ऋचा सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष हैं और वह लगातार सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ बोल रही थीं। लिहाजा, सपा ने गुरुवार शाम ऋचा और रोली को निष्काषित करते हुए इसकी जानकारी ट्विटर पर पोस्ट कर दी।
ऋचा सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की पहली महिला अध्यक्ष रही हैं।
ऋचा सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की पहली महिला अध्यक्ष रही हैं।
ऋचा सिंह ने कहा, अखिलेश यादव का एक्शन प्राकृतिक न्याय (natural justice) विरोधी, महिला विरोधी और अलोकतांत्रिक है। मुझसे कहा गया था कि मैं स्वामी प्रसाद मौर्य के वक्तव्य का विरोध छोड़ दूं । मैंने इंकार कर दिया । इसीलिए मुझे बिना नोटिस और बिना कारण बताए निकाला गया है। प्राकृतिक न्याय कहता है की किसी के खिलाफ करवाई करने से पहले उसको कारण बताओ नोटिस जारी कर के उससे स्पष्टीकरण और उसका पक्ष जाना जाए'।
'अखिलेश यादव ने ऐसा नहीं किया। साथ ही साथ निष्कासन का कोई कारण भी नहीं बताया। शायद कोई कारण है भी नहीं। अखिलेश कारण बताने की स्थिति में नहीं हैं। वरना मुझे बताया जाए कि अगर रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का विरोध के अतिरिक्त मैंने पार्टी के हितों के खिलाफ कभी भी कुछ किया हो।'
यह निष्कासन कोई नया नहीं है। उन्होंने कहा 'मैं लगातार निष्कासन का सामना कर रही हूं। यह निष्कासन कोई नया नहीं है।
उन्होंने कहा, जो पार्टी प्रकृतिक न्याय नहीं मानती वो सामाजिक न्याय क्या मानेगी? अगर आज रामायण मेला की परिकल्पना करने वाले और भगवान राम को आदर्श मानने वाले डॉ. लोहिया जिंदा होते तो उन्हें भी समाज विरोधी पार्टी मतलब समाजवादी पार्टी निकाल देती। मुझसे ज़्यादा स्वामी प्रसाद पर हमला समाजवादी पार्टी के कई पुरुष नेताओं ने भी किया है'
'परंतु उन्हें निकाल कर पार्टी अपनी विधायक संख्या घटाना नहीं चाहती। वह पुरुष हैं इसलिए भी उनके खिलाफ कुछ नहीं किया। महिलाओं पे एकतरफा करवाई कर के पार्टी ने अपनी महिला विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है। विनाश काले, विपरीत बुद्धि. जब काल मनुष्य पे छाता है तो पहले विवेक मर जाता है।'
ऋचा सिंह ने ट्वीट कर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा 'मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पहली निर्वाचित महिला अध्यक्ष होने के बाद से ही लगातार निष्कासन का सामना कर रही हूं। यह निष्कासन कोई नया नहीं है। जब जब गलत का विरोध किया निष्कासन को झेला है, पर महिषासुरों के खिलाफ डटकर खड़ी रही इस बार फिर महिषासुर वध होगा'।