प्रयागराज (राजेश सिंह)। उमेश पाल हत्याकांड के बाद माफिया अतीक अहमद के मददगारों में जहां सौ से अधिक प्रापर्टी डीलर चिह्नित किए गए हैं, वहीं अब डॉक्टरों की भी भूमिका की जांच शुरू हो गई है। माफिया के मददगार के तौर पर अब तक 20 डॉक्टर चिह्नित किए जा चुके हैं। इसमें सात सरकारी चिकित्सकों के नाम शामिल हैं। खुफिया विभाग की रिपोर्ट के आधार पर एसटीएफ और अन्य जांच एजेंसियां ऐसे डॉक्टरों की कुंडली खंगालने में जुट गई हैं।
माफिया अतीक अहमद के मददगारों में कई चिकित्सकों का नाम आया है। इनमें सबसे अधिक 13 चिकित्सक कौशाम्बी जिले के हैं। जबकि, तीन प्रयागराज के और चार प्रतापगढ़ के चिकित्सकों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। अतीक गैंग से जुड़े इन 20 चिकित्सकों में सात सरकारी अस्पतालों में तैनात बताए जा रहे हैं। इन चिकित्सकों के अस्पतालों के अलावा उनकी संपत्तियों का विवरण जुटाया जा रहा है।
ऐसे चिकित्सकों की कमाई को माफिया और उसके गैंग के कारोबार में लगाए जाने की भी आशंका है। साथ ही अतीक गैंग से उनके जुड़ाव और रिश्ते की गहन जांच की जा रही है। इस बात की जानकारी मिलने के बाद ऐसे चिकित्सक सजग हो गए हैं। कौशाम्बी के दो अस्पताल बंद भी हो गए हैं। कई अस्पतालों से सूचीबद्ध चिकित्सकों के गायब होने की भी बात कही जा रही है। यह भी शक है कि कहीं माफिया की काली कमाई का इस्तेमाल मेडिकल क्षेत्र में तो नहीं हो रहा है। ऐसे पहलुओं को लेकर छानबीन की जा रही है।
शासन को भी इसकी जानकारी दी गई है। इन चिकित्सकों की माफिया और उसके गुर्गों से मुलाकातों का भी विवरण जुटाया जा रहा है। साथ ही इनकी कॉल डिटेल भी कंगाली जा रही है, ताकि और भी परतों को खोला जा सके। ऐसे चिकित्सकों के नंबर सर्विलांस पर भी लिए गए हैं। इससे पहले सौ से अधिक छोटे-बड़े बिल्डरों को भी सूचीबद्ध किया जा चुका है। इन बिल्डरों के बारे जानकारी मिली है कि वह कंपनियां बनाकर माफिया अतीक की उगाही की रकम को खपाते हैं और उसे नंबर एक करते हैं।
शहर के पांच बड़े बिल्डरों की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। इसमें एक बिल्डर शहर छोड़कर लखनऊ में रह रहा है। कहा जा रहा है कि इन बिल्डरों का रसूख इतना है कि इनके आगे शासन-प्रशासन की भी नहीं चल पाती। ये बिल्डर माफिया के बड़े मददगारों के तौर पर देखे जा रहे हैं। शहर में बड़े आवासीय अपार्टमेंट बनाने में भी अतीक के पैसे से लेकर उसके कब्जे की जमीनें खपाए जाने की जानकारी जांच एजेंसियों को मिली है।