लखनऊ (राजेश सिंह)। मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे प्रदेश के दो बड़े माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने का ढिंढोरा पीटने वाली पुलिस अंदरखाने मुख्तार के खिलाफ गरम तो अतीक पर नरम बनी रही। मुख्तार के अलावा उसके परिजनों, गैंग के सदस्यों पर ताबड़तोड़ मुकदमे लादने, एनकाउंटर में ढेर करने और काली कमाई से जुटाए गए आर्थिक साम्राज्य को ध्वस्त करने का दौर जारी रहा। वहीं दूसरी ओर अतीक के खिलाफ अफसर नरमी दिखाते रहे। नतीजतन अतीक और उसके गैंग की जड़ों पर प्रयागराज में खास फर्क नहीं पड़ा और उसने अपने पुराने दुश्मन के साथ दो गनर को भी गोलियों से भूनने में जरा भी झिझक नहीं दिखाई।
बताना जरूरी है कि अतीक और उसके परिजनों पर अब तक 165 मुकदमे दर्ज हैं, जबकि मुख्तार और उसके परिजनों के खिलाफ दर्ज मुकदमों की संख्या सौ से कम है। दोनों का राजनैतिक रसूख भी कमोबेश बराबर का रहा है। हैरानी की बात यह है कि एक वर्ष पूर्व प्रयागराज में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक में अतीक गिरोह के खिलाफ लचर कार्रवाई का मुद्दा उठा, लेकिन सख्त कार्रवाई तो दूर, उल्टा अतीक के भाई अशरफ को सरेंडर करने से भी पुलिस नहीं रोक सकी।
इसी तरह सीबीआई के केस में 2.50 लाख रुपये के इनामी अतीक के बेटे उमर ने भी अदालत में आसानी से सरेंडर कर दिया। इसके बारे में सीबीआई या प्रयागराज पुलिस की खुफिया इकाई को भनक तक नहीं लगी। अतीक के दूसरे बेटे अली को गिरफ्तार करने के लिए एसटीएफ की एक टीम कोलकाता में गद्दी बिरादरी के एक ठिकाने तक पहुंच गयी थी। उससे पहले छापे की सूचना लीक हो गयी और एक घंटा पहले ही फरार हो गया। बाद में उसने भी आसानी से अदालत में सरेंडर कर दिया।
बीते छह वर्षो में पुलिस ने मुख्तार गैंग के छह सदस्यों को ढेर किया जबकि अतीक गैंग का कोई सदस्य पुलिस की गोली का शिकार नहीं बना। मुख्तार गिरोह के 178 सदस्य गिरफ्तार हुए जबकि अतीक गिरोह के महज 14 सदस्यों को पुलिस दबोच पाई। इसी तरह मुख्तार गिरोह के 167 शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराए गये जबकि अतीक गिरोह के 68 शस्त्र लाइसेंस पर ही कार्रवाई की गयी।
अतीक गिरोह के किसी सदस्य पर रासुका नहीं लगाई गयी। मुख्तार गैंग के छह सदस्यों पर रासुका लगाया गया। इसी तरह मुख्तार गैंग के 71 सदस्यों जबकि अतीक गैंग के 22 सदस्यों की हिस्ट्रीशीट खोली गयी। मुख्तार गिरोह के 128 सदस्यों पर गैंगस्टर लगा जबकि अतीक गिरोह के 21 सदस्यों पर गैंगस्टर लगाया गया।
मुख्तार के मुकाबले अतीक अहमद ने दोगुना से ज्यादा अवैध संपत्तियां अर्जित कीं या उन पर कब्जा किया। इस मामले में पुलिस ने मुख्तार के मुकाबले अतीक गिरोह पर मजबूती से शिकंजा कसा। हालांकि इनमें से अधिकांश पर कार्रवाई एसटीएफ की मजबूत पैरवी की वजह से हुई। बीते छह वर्ष में अतीक की 1168 करोड़ रुपये की जबकि मुख्तार की 573 करोड़ की वैध-अवैध संपत्तियों पर प्रशासन का चाबुक चला।