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दहशत: घंटों मशक्कत के बाद बेहोश कर पकड़ा गया घर में घुसा भालू

SV News

मिर्जापुर (राजेश सिंह)। मिर्जापुर के बघेड़ाकला गांव स्थित घर में घुसे भालू को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी। दूसरे दिन गुरुवार को घंटों की मशक्कत के बाद भालू को बेहोश कर पकड़ा गया। कानपुर से आई टीम को यह सफलता मिली। दो दिन से इस भालू के कारण ग्रामीणों में दहशत थी। बुधवार को उसने सात लोगों को घायल किया था। जंगल से भटककर भालू बुधवार की सुबह जिगना थाना क्षेत्र के नेगुराबान सिंह गांव में पहुंचा था। ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर वन रक्षक अवधेश कुमार यादव, पिंटू लाल आदि वन विभाग की टीम पहुंची।
वन विभाग की टीम नेगुराबान सिंह गांव पहुंची तो भालू अरहर के खेत में था। तीन घंटे बाद वह निकल कर यादवपुर पहुंच गया। वहां पर सियाराम (65), तानिया (16) पुत्री नाथे, नपीता (18) पुत्री भारत को घायल करते हुए बिहसड़ा कला के मुराजपुर गांव पहुंच गया। वहां पर सुरेश पुत्र बनधारी (40) निवासी मुराजपुर, विकास पुत्र इंद्रजीत (30) विनय पुत्र शिवरक्षा (27) निवासी रूदईपुर, पार्वती मौर्या (50) निवासी बिहसड़ा कोइरान को घायल करते हुए बघेड़ा कला गांव पहुंचा। वहां पर तेजू बिंद के मकान में घुस गया।
सूचना पर मुख्य वन संरक्षक आरसी झा, डीएफओ अरविंद राज मय दलबल के साथ पहुंचे और भालू पकड़ने की कोशिश में लग गए। रात लगभग एक बजे भालू पिंजड़ा में किसी तरह से आया भी तो उछल कूद के चलते पिंजड़ा क्षतिग्रस्त हो गया। भालू फिर से भागकर घर में बने टांड़ पर जाकर बैठ गया।
सुरक्षा को देखते हुए बाहर से घर का दरवाजा बंद कर पूरी रात वनकर्मी मौके पर डटे रहे। गुरुवार सुबह डीएफओ अरविंद राज मिश्र ने कानपुर चिड़ियाघर से डा. मो. नासिर को टीम का सहारा लिया। डा.नासिर की टीम ने गुरुवार दोपहर किसी तरह दीवार तोड़कर भालू को बेहोशी का इंजेक्शन लगाने के बाद अपने कब्जे किया। प्रभागीय वनाधिकारी ने कहा भालू को हलिया के जंगल में ले जाकर छोड़ा जाएगा।
घर में घुसा भालू न पकड़े जाने पर गुरुवार को गृहस्वामी के बच्चे भूख से परेशान रहे। जिस घर में भालू कैद था उसी घर में राशन पानी रखा था। भोजन की व्यवस्था न होने पर घर की महिलाएं आक्रोशित हो उठी। महिलाओं के साथ काफी संख्या में आक्रोशित ग्रामीणों ने वन कर्मियों खूब खरीखोटी सुनाई। मौके की नजाकत भांप मौके पर मौजूद प्रभागीय वनाधिकारी अरविंद राज मिश्र ने अपनी जेब से पीड़ित परिवार को तत्काल एक हजार रुपये भोजन आदि व्यवस्था के लिए दिया गया। तब जाकर लोगों का गुस्सा ठंडा पड़ा।

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