पेट की बीमारी से बचाव के लिए तरल पदार्थ के करें सेवन -डॉ0 समीम अख्तर
मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
होली के रंग को बदरंग होने से बचाने के लिए एहतियात बरतनी जरूरी है। रंग खेलते समय त्वचा और आखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।उक्त बातें सीएचसी मेजा के अधीक्षक डॉक्टर ओमप्रकाश ने एक वार्ता के दौरान कही।उन्होंने कहा कि हर्बल रंग के नाम पर खतरनाक रंग बिक रहे हैं। बाजारों में आए रंग कोई भी शुद्ध हर्बल रंग या गुलाल नहीं है। पहले लोग फलों के रंग और गुलाल बनाते थे। वे बिल्कुल शुद्ध थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। केमिकल युक्त रंगों और गुलाल से त्वचा ही नहीं नाखून और बाल भी प्रभावित होते हैं। बड़े नाखून रखने की स्थिति में केमिकल युक्त रंग अंदर घुसकर नाखून के नीचे की त्वचा को प्रभावित करता है। रंग से सिर की त्वचा और बाल में रूखापन सहित अन्य दिक्कतें होती हैं। उन्होंने उपाय बताए हुए कहा कि रंग के प्रभाव को कम करने के लिए त्वचा को पहले पानी से धोकर एक चम्मच हल्दी, गाय का दूध, दो चम्मच बेसन मिलाकर त्वचा पर लगाना चाहिए। सूखने पर इसे धो लेना चाहिए। इससे केमिकल का प्रभाव कम होता है और एलर्जी से बच सकते हैं
डॉ. समीम अख्तर बताते हैं कि अस्पताल में होली के बाद त्वचा एलर्जी के मरीज इलाज के लिए ज्यादा आते हैं। इसमें बच्चे के साथ ही बड़े भी होते हैं। केमिकल के रंगों से सबसे ज्यादा प्रभाव चेहरे के त्वचा को होता है। गीली होली खेलने से बचना चाहिए।होली के दिन या इसके दूसरे दिन पेट से संबंधित मरीज बढ़ जाते हैं। ऐसे मरीजों को अपच की परेशानी होती है। लिहाजा होली के दिन लोगों को व्यंजन के मुकाबले पौष्टिक तरल पेय का सेवन ज्यादा करना चाहिए। जूस, नारियल पानी, नींबू पानी आदि के सेवन से पेट से संबंधित परेशानी से बचा जा सकता है। उन्होंने होली खेलने के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए बताया कि सावधानी पूर्वक होली खेलें,जिससे किसी भी प्रकार का नुकसान होने से बचाया जा सके।