प्रयागराज (राजेश सिंह)। सत्ता चाहे जिसकी हो सेटिंग अतीक अहमद की ही चलती है। साबरमती से नैनी सेंट्रल जेल आने और फिर उसी दिन वापस लौटना सरकार की नहीं, बल्कि अतीक अहमद की मंशा थी। प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल के मुख्य गेट के बाहर 5 घंटे तक प्रिजन वैन मैं बैठे अतीक अहमद के मन मुताबिक ही सब कुछ पहले भी हो रहा था और अब भी हो रहा है।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक अतीक अहमद चाहता था कि उसे नैनी सेंट्रल जेल में न रखा जाए। वह तुरंत साबरमती जेल जाना चाहता था। इसीलिए यहां के जेल प्रशासन ने उसे अंदर दाखिल करने से मना कर दिया। सूत्रों के अनुसार शासन को यह स्पष्ट तौर पर पता चला कि जेल प्रशासन अतीक के मनमाफिक काम कर रहा है। उसके कई साक्ष्य भी मिले हैं।
सेंट्रल जेल नैनी के वरिष्ठ जेल अधीक्षक शशीकांत सिंह यादव के निलंबन की पटकथा अतीक अहमद के साबरमती से प्रयागराज आने से पहले ही लिखी जाने लगी थी। जेल के अंदर आला अधिकारियों ने 01 अप्रैल की रात में जांच के दौरान जो व्यवस्था और अव्यवस्था पाई गई थी, उसकी गाज सिर्फ वरिष्ठ जेल अधीक्षक शशिकांत सिंह यादव पर ही नहीं गिरेगी। उसकी जद में अभी कई लोग हैं। सूत्रों के अनुसार नैनी सेंट्रल जेल में अतीक से जुड़े लोगों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने वाले जेल अधिकारियों और कर्मचारियों की एक लंबी लिस्ट है। जिससे जेल में हड़कंप मचा है।
उमेश पाल हत्याकांड की जांच कर रही एसटीएफ और क्राइम ब्रांच के हाथ लगे इंटरनेट कॉलिंग और व्हाट्सएप चैटिंग के वह साक्ष्य भी इस कार्रवाई की बड़ी वजह हैं, जिन्हें नैनी सेंट्रल जेल के हाई सिक्योरिटी सेल में रखे गए अतीक के बेटे अली और बाहर बैठे गैंग के दूसरे मेंबरों के बीच हुई थी। पूरे प्रदेश और देश में जब माफिया अतीक अहमद की कमर तोड़ने के लिए शासन स्तर पर कार्रवाई हो रही हो, उसी दौरान उसके बेटे और गुर्गों को जेल के अंदर वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा था।
सूत्रों के अनुसार 27 मार्च की शाम को डीआईजी जेल एके सिंह नैनी सेंट्रल जेल पहुंचे थे। वहां उन्होंने अली की बैरक का निरीक्षण किया था। सूत्रों के अनुसार निरीक्षण के दौरान ही पता चला कि हाई सिक्योरिटी बैरक में रखे गए अली को कूलर, मच्छरदानी जैसी वीआईपी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं। उसे ऐशो आराम की वह सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं, जो जेल में जेल मैनुअल से कतई मेल नहीं खाती हैं।
1 अप्रैल की आधी रात को प्रयागराज पुलिस कमिश्नर रमेश शर्मा, मंडलायुक्त, सहायक आयुक्त आकाश कुलहरी, डीएम संजय कुमार खत्री, डीसीपी नगर दीपक भूकर ने लोकल पुलिस प्रशासनिक टीम के बिना छापेमारी की थी। रात में 12 बजे से भोर में पांच बजे तक 5 घंटे तक चले सघन तलाशी अभियान के पीछे कोई और मकसद नहीं बल्कि जेल के अंदर से चल रहे मोबाइल और इंटरनेट के गोरखधंधे का पर्दाफाश करना था।
पुलिस एसटीएफ और क्राइम ब्रांच की टीम उमेश पाल हत्याकांड के बाद रडार पर आए अतीक गैंग पर लगातार निगरानी बनाए हुए है। सूत्रों के अनुसार इसी निगरानी के दौरान एसटीएफ और क्राइम ब्रांच को यह पता चला कि उमेश पाल हत्याकांड के पहले और बाद भी अतीक अहमद, मोहम्मद अशरफ और उसके गुर्गे नैनी सेंट्रल जेल में बंद अली से इंटरनेट कॉलिंग के जरिए बात करते हैं।
एसटीएफ को कई व्हाट्सएप चैटिंग भी मिली है, जो नैनी सेंट्रल जेल में बंद अली, अतीक व अशरफ समेत अन्य के साथ बातचीत की है। इसके साथ ही जेल के अंदर बंद अतीक के गुर्गों को भी जेल मैनुअल से इतर सुविधाएं जेल प्रशासन की ओर से दी जा रही थीं। जिसमें उमेश पाल अपहरण कांड में उम्र कैद की सजा पाए अधिवक्ता खान सोलत हनीफ और दिनेश पासी शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार डीआईजी जेल एके सिंह के निरीक्षण के बाद ही तत्काल उसी समय अली की बैरक बदल दी गई थी। उसे हाई सिक्योरिटी बैरक से हटाकर स्पेशल सिक्योरिटी सेल में भेज दिया गया था। जेल के अंदर अली को मिल रहे वीआईपी ट्रीटमेंट की बात बाहर न जाए, इसलिए बैरक बदलने की बात को अतीक और अशरफ के प्रयागराज जाने से जोड़कर मामले को दबा दिया गया। सूत्रों के मुताबिक अतीक का बेटा अली जेल का खाना नहीं खाता था, उसके लिए चकिया और सिविल लाइंस में स्थित दो विशेष होटल और रेस्टोरेंट से प्रतिदिन खाना आता था।
जेल के अंदर उसे सारी वीआईपी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं। इस बात की पुष्टि एक और घटना से हो रही है। 27 मार्च की रात में जब अशरफ को नैनी सेंट्रल जेल में रखा गया तो जेल के अंदर जाते ही उसने जेलर से सबसे पहला सवाल यही किया था कि अली की बैरक क्यों बदली गई? हालांकि सामान उठाने और बैरक बदलने को लेकर अशरफ एवं जेलर के बीच बहस भी हो गई थी।
डीआईजी जेल के निरीक्षण के बाद 31 मार्च को डीएम प्रयागराज संजय कुमार खत्री और डिस्ट्रिक्ट जज संतोष राय जेल के अंदर त्रैमासिक निरीक्षण के लिए पहुंचे थे। बाहर आने के बाद डीएम ने बताया कि कैदियों ने खाने की शिकायत की है। कैदियों का कहना था कि उन्हें हाइजेनिक खाना नहीं मिलता है। रोटी, चावल कच्चे रहते हैं। जिस पर डीएम ने जेल अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी। तत्काल सुधार लाने को कहा था।
सघन तलाशी के बाद से ही आम चर्चा शुरू हो गई थी कि जेल के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कुछ न कुछ गड़बड़ है। इस गड़बड़ी की गाज आला अधिकारियों पर गिरनी तय है। चेकिंग के दौरान चाकू, लाइटर, बीड़ी एवं नशे के अन्य सामग्रियां बरामद की गई थीं। इस दौरान हाई सिक्योरिटी सेल में अतीक अहमद ने जो चबूतरा बनवाया था, उसे भी हटवाया गया है।
इस कार्रवाई के बाद सेंट्रल जेल नैनी के उन अधिकारियों और कर्मचारियों की भी सांसें उखड़ गई हैं। जो क्रिमिनल सिंडीकेट गैंग के मेंबर बन कर ड्यूटी कर रहे थे। जेल अधिकारियों और कर्मचारियों के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई हैं। सभी को डर सता रहा है कि हो ना हो देर सवेर उन पर भी शासन की गाज गिरनी तय है।