आज भी खंडहर में रहती हैं आधा दर्जन नर्सें
मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय/श्रीकान्त यादव)। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मेजा का निर्माण वर्ष 1985 में हुआ था इससे पूर्व संचालन तहसील मुख्यालय के पास स्थित अंग्रेजों के जमाने में निर्मित भवन में अस्पताल की स्थापना कर मरीजों का इलाज किया जाता था। इसके बाद करोड़ों रुपये से मेजा पहाड़ी पर तीस बेड का आवासीय अस्पताल बनाया गया। आवासीय अस्पताल बनाए जाने के बाद मेजा तहसील मुख्यालय के पास रहे पुराने अस्पताल का संचालन बंद कर डाक्टर व स्वास्थ्यकर्मी नए अस्पताल में चले गए। कार्यरत डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों को वर्तमान में आवासीय सुविधा नहीं मिल पा रही है, जिससे डॉक्टर व स्वास्थकर्मी या तो किराए के भवन में रहकर नौकरी करते हैं अथवा शहर से प्रतिदिन आवागमन करते हैं। अस्पताल का संचालन ठीक ठाक होने लगा तो वर्ष 1989 में एक रात बदमाश आवासीय भवन में पहुंच कुछ महिला स्वास्थ्यकर्मियों के साथ छेड़खानी करने लगे। बदमाशों ने एक स्वास्थ्यकर्मी सहित दो कर्मचारियों पर हमला बोल दिया था। इस घटना में दोनों की मौत हो गई थी।
इस घटना के बाद सीएचसी में कार्य करने वाले डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी दहशत में आ गए। अस्पताल का संचालन ठप कर दिया गया। जानकारी पर स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी पहुंच कुछ दिनों के लिए अस्पताल का संचालन पुराने अस्पताल में कर दिया था, स्थिति सामान्य होने पर दोबारा अस्पताल का संचालन मेजा पहाड़ी स्थित सीएचसी में होने लगा। उधर दो की हत्या होने के बाद अस्पताल लावारिश हो गई तो चोर पहुंच आवासीय भवनों की कीमती दरवाजे व खिड़कियां उठा ले गए। भवन खंडहर में तब्दील हो भूत बंगला बन गया। अस्पताल के अधीक्षक ओम प्रकाश, डाक्टर बबलू श्रीवास्तव, डॉ. स्वास्वत सिंह, डॉ. शमीम अख्तर, डॉ. सुरेश चन्द्र सोनकर, डॉ. रेशमा खान ने बताया कि आवासीय भवन न होने से अस्पताल के कर्मचारियों के साथ-साथ डाक्टरों को रात में रहने में परेशानी होती हैं।
अधीक्षक ओम प्रकाश ने सूरज़ वार्ता प्रतिनिधि को बताया कि आवासीय भवन बनाए जाने का प्रस्ताव कई बार विभाग के अधिकारियों साथ ही पूर्व विधायक नीलम उदयभान करवरिया को भेजा लेकिन आज तक स्वीकृत नहीं हो सकी। बता दें कि अस्पताल की साफ-सफाई का कार्य काफी दिनों से नहीं हो सका है। जनप्रतिनिधि ने आवासीय भवन की बात विधानसभा में नहीं उठा सके। सूत्रों की मानें तो कोविड के समय सांसद निधि से मरीजों के लिए बड़ा हाल बनाया गया, लेकिन भवन के मुख्य द्वार पर ताला लटक रहा है।