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पहले अमिताभ बच्चन को दिया एंग्री यंगमैन अवतार, और फिर इस फिल्म में कर दिया करियर का बंटाधार

 

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बिजनौर, उत्तर प्रदेश में जन्मे निर्माता- निर्देशक प्रकाश मेहरा ऐसे फिल्मकार रहे हैं, जिनके साथ सदी महानायक अमिताभ बच्चन ने सबसे ज्यादा फिल्में की हैं। प्रकाश मेहरा की ही फिल्म 'जंजीर' के जरिए अमिताभ बच्चन को लोकप्रियता मिली और फिर कभी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इतना ही नहीं, प्रकाश मेहरा की कई फिल्मों के साउथ में रिमेक भी बने हैं जो जबरदस्त हिट हुए। प्रकाश मेहरा की पुण्यतिथि पर आइए जानते हैं, प्रकाश मेहरा की करियर 10 चर्चित फिल्मों के बारे में...

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जंजीर (1973)

फिल्म 'जंजीर' से प्रकाश मेहरा ने खुद अपने प्रोडक्शन हाउस प्रकाश मेहरा प्रोडक्शन की शुरुआत की। 'जंजीर' एक्शन क्राइम फिल्म थी और इसी फिल्म से अमिताभ बच्चन हिंदी सिनेमा के एंग्री यंगमैन गए। सलीम जावेद ने इस फिल्म की पटकथा लिखी थी। फिल्म में अमिताभ बच्चन के अलावा जया बच्चन, प्राण, अजीत खान और बिंदू की मुख्य भूमिकाएं थी। यह फिल्म ऐसे समय रिलीज हुई थी, जब भारत भ्रष्टाचार और कम आर्थिक विकास से पीड़ित था, और आम आदमी व्यवस्था को लेकर हताशा और गुस्से से था। यह फिल्म न सिर्फ भारत में बल्कि सोवियत संघ में भी ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई थी। यह फिल्म 11 मई 1973 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म के बाद सलीम जावेद की जोड़ी ने अमिताभ बच्चन के लिए कई फिल्में लिखी तो वही अमिताभ बच्चन निर्माता -निर्देशक प्रकाश मेहरा के सबसे पसंदीदा एक्टर बन गए।

हसीना मान जाएगी (1968)

फिल्म 'हसीना मान जाएगी' के जरिए भारतीय सिनेमा के दिग्गज निर्माता -निर्देशक प्रकाश मेहरा ने बतौर निर्देशक अपने करियर की शुरुआत की। इस फिल्म में शशि कपूर ने दोहरी भूमिका कमल और राकेश की निभाई थी। शशि कपूर के अलावा बबीता, अमीता, यूनुस परवेज और जॉनी वॉकर की भी फिल्म में अहम भूमिकाएं थी। कल्याणजी आनंदजी के संगीत निर्देशन में मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर का गाया गीत 'बेखुदी में सनम' उन दिनों का सबसे लोकप्रिय गीत था। यह गीत संगीत प्रेमियों का आज भी सबसे पसंदीदा गीत है। खास बात यह है कि फिल्म के छह गीत में से दो गीत 'ओ दिलबर जाने' और 'सुनो सुनो कन्याओं का वर्णन' प्रकाश मेहरा ने खुद लिखे। इस फिल्म से पहले प्रकाश मेहरा ने बतौर गीतकार अपने करियर की शुरुआत फिल्म 'पूर्णिमा' से की थी।

मेला (1971)

फिल्म 'हसीना मान जाएगी' के बाद प्रकाश मेहरा ने संजय खान और फिरोज खान को लेकर फिल्म 'मेला' का निर्देशन किया। फिल्म में संजय खान और फिरोज खान ने फिल्म में भी भाइयों की भूमिका निभाई थी। संजय खान ने इस फिल्म में किशन और कन्हैया की दोहरी भूमिका निभाई थी। फिरोज खान ने फिल्म में एक खूंखार डाकू शक्ति सिंह का किरदार निभाया था। बचपन में एक मेले में शक्ति सिंह और किशन बिछड़ जाते हैं। शक्ति सिंह अपने भाई को किशन को मेले में खोने के लिए खुद को दोषी मानते है। इस फिल्म का निर्माण एए नाडियाडवाला ने किया था और यह फिल्म 30 जून 1971 को रिलीज हुई थी। इस बार प्रकाश मेहरा ने संगीत की जिम्मेदारी आर डी बर्मन को दी थी।

समाधि (1972) 

फिल्म 'हसीना मान जाएगी' और 'मेला' के बाद निर्देशक  प्रकाश मेहरा ने फिल्म 'समाधि' में धर्मेंद्र को पिता और पुत्र की दोहरी भूमिका में पेश किया। धर्मेंद्र के अलावा फिल्म में  आशा पारेख और जया भादुड़ी की मुख्य भूमिकाएं थी। यह फिल्म  तेलुगु में 'निंदू मनीषी' के नाम से बन चुकी है जो साल 1978 में रिलीज हुई। तेलुगु वर्जन में भी फिल्म ने जबरदस्त कमाई की थी। इस फिल्म का संगीत  आरडी बर्मन ने तैयार किया था। 'कांटा लगा' इस फिल्म का सबसे लोकप्रिय गीत है जिसे शेफाली जरीवाला अभिनीत एक संगीत वीडियो के साथ टी-सीरीज द्वारा रीमिक्स किया गया था । इस फिल्म के निर्माता भगवंत सिंह और जी एल खन्ना थे। यह फिल्म 22 दिसंबर 1972 में रिलीज हुई थी।

हेरा फेरी (1976)

'हेरा फेरी' एक मसाला फिल्म है जिसमें अमिताभ बच्चन के साथ विनोद खन्ना भी एक खास किरदार में नजर आए। विनोद खन्ना को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए फिल्मफेयर नामांकन मिला था। यह फिल्म 1978 में रिलीज तेलुगु फिल्म 'राम कृष्णुलु' से प्रेरित फिल्म थी। फिल्म में अमिताभ बच्चन ने विजय और विनोद खन्ना ने अजय की भूमिका निभाई थी जो जीवन यापन के लिए छोटे मोटे अपराध करते रहते हैं। फिल्म में अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना के अलावा सायरा बानो,सुलक्षणा पंडित, श्रीराम लागू और असरानी की मुख्य भूमिकाएं थी। इस फिल्म का निर्माण सत्येंद्र पाल ने किया था। इस फिल्म से प्रकाश मेहरा ने डिस्ट्रीब्यूशन के क्षेत्र में भी कदम रखा।

मुकद्दर का सिकंदर (1978)

फिल्म 'शोले' और 'बॉबी' के बाद प्रकाश मेहरा की फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' 70 के दशक की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म है। फिल्म में अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, राखी, रेखा, रंजीत, अमजद खान की प्रमुख भूमिकाएं थीं और निरूपा रॉय, कादर खान विशेष भूमिका में नजर आए थे। यह आखिरी फिल्म थी जिसमें अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना एक साथ दिखाई दिए। 26 वें फिल्मफेयर पुरस्कारों में इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म सहित नौ फिल्मफेयर पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन किसी भी श्रेणी में जीत नहीं मिली। 27 अक्टूबर 1978 को रिलीज हुई यह फिल्म तेलुगू में 'प्रेमा तरंगलु'  और तमिल में 'अमारा काव्यम' के नाम से बन चुकी है।

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लावारिस (1981)

निर्माता- निर्देशक प्रकाश मेहरा की फिल्म 'लावारिस' साल 1981 की चौथी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म थी। अमिताभ बच्चन का गाया गीत 'मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है' उन दिनों खूब लोकप्रिय हुआ था। आज भी यह गाना दर्शकों के बीच खूब लोकप्रिय है। इस गाने का फीमेल वर्जन अलका याग्निक ने गाया था। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, जीनत अमान और सुरेश ओबेरॉय की मुख्य भूमिकाएं थी। 22 मई 1981 को रिलीज हुई इस फिल्म की कहानी प्रकाश मेहरा ने कादर खान के साथ मिलकर लिखी थी। तेलुगु में यह फिल्म 'ना देशम' और तमिल में 'पनक्कारन' के नाम से बन चुकी है, जिसमें रजनीकांत, विजयकुमार और गौतमी ने अभिनय किया था। दोनों फिल्में अपनी-अपनी भाषाओं में जबरदस्त हिट रहीं।

नमक हलाल (1982)

फिल्म 'नमक हलाल' निर्देशक के रूप में प्रकाश मेहरा के करियर की एक सर्वश्रेष्ठ फिल्म है। इस फिल्म का निर्माण सत्येंद्र पाल ने किया था और फिल्म में  फिल्म में शशि कपूर, अमिताभ बच्चन, स्मिता पाटिल, परवीन बाबी, वहीदा रहमान, ओम प्रकाश, रंजीत, सत्येन कप्पू जैसे सिनेमा के दिग्गज अभिनेताओं की मुख्य भूमिकाएं थी। इस फिल्म का डिस्ट्रीब्यूशन प्रकाश मेहरा ने खुद चौधरी ऊधम के साथ मिलकर किया। फिल्म में पांच गाने थे जिसमें से किशोर कुमार को 'पग घुंघरू' गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का पांचवां फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। अनजान के लिखे गीत को बप्पी लहरी ने संगीतबद्ध किया था। 30 अप्रैल 1982 को रिलीज हुई यह  फिल्म साल 1982 की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म थी। इस फिल्म को तेलुगु में 'भाले रामुडु' और तमिल में 'वेलाइकरण' से बनाया गया था। 

शराबी (1984) 

निर्माता -निर्देशक प्रकाश मेहरा के साथ अमिताभ बच्चन की फिल्म 'शराबी' छठी फिल्म थी। इस फिल्म का निर्माण सत्येंद्र पाल ने किया था और फिल्म में अमिताभ बच्चन के अलावा जया प्रदा, प्राण और ओमप्रकाश की मुख्य भूमिकाएं थी। फिल्म के एक गीत 'जहां चार यार मिल जाएं' में स्मिता पाटिल पाटिल अतिथि भूमिका में थीं। इस फिल्म के सभी गाने हिट थे और फिल्म में सर्वश्रेष्ठ संगीत  के लिए बप्पी लहरी को फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। 'जहां चार यार' दरअसल रूना लैला के क्लासिक बंगाली गीत 'बोंधू तीन दिन' से प्रेरित था। किशोर कुमार को इस फिल्म के लिए सावां फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था। किशोर कुमार इस फिल्म के चारों गीतों  'दे प्यार दे", 'इंतेहा हो गई इंतजार की',  'लोग कहते हैं' और 'मंजिलें अपनी जगह हैं' के लिए लिए उस वर्ष के लिए नामांकित एकमात्र गायक थे जो आज तक अपने आप में एक रिकॉर्ड है। यह फिल्म 18 मई 1984 को रिलीज हुई।

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जादूगर (1989)

फिल्म 'जादूगर' निर्माता- निर्देशक प्रकाश मेहरा और अमिताभ बच्चन की आखिरी फिल्म थी। यह एक फंतासी कॉमेडी फिल्म है, जिसमें अमिताभ बच्चन, जया प्रदा, आदित्य पंचोली, अमृता सिंह, अमरीश पुरी और प्राण की मुख्य भूमिकाएं थी। यह फिल्म 25 अगस्त 1989 को रिलीज हुई थी। यह फिल्म साल 1989 की सबसे बड़ी डिजास्टर फिल्म साबित रही है। बताया जाता है कि इस फिल्म की असफलता के बाद अमिताभ बच्चन ने फिर कभी प्रकाश मेहरा के साथ काम नहीं किया। और, हैरत की बात ये भी कि इस फिल्म की कहानी बहुत कुछ इसी के समानांतर रिलीज हुई मनमोहन देसाई की फिल्म ‘तूफान’ से बहुत मिलती जुलती थी।

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