प्रयागराज (राजेश सिंह)। जर्मन तकनीक पर आधारित देश के गिनती के केबल पुलों में शुमार नैनी के नए यमुना सेतु की क्षतिग्रस्त बेयरिंग और ज्वाइंट एक्सपेंशन को बदलने का काम एक जून से आरंभ होगा। क्षतिग्रस्त एक्सपेंशन ज्वाइंट बदलने में तीन महीने का समय लगने का अनुमान है। इस पुल के पिलर नंबर 15-ए के एक्सपेंशन ज्वाइंट की प्लेट बीते वर्ष 12 जुलाई को भारी वाहनों के दबाव की वजह टूट गई थी। मिर्जापुर रोड और रीवा रोड के अलावा चित्रकूट-बांदा की ओर से आने वाले वाहनों का इस सेतु पर दबाव रहता है। इन मार्गों के वाहनों को प्रयागराज में प्रवेश के लिए दूसरा कोई वैकल्पिक रूट नहीं है। इसलिए एनएचएआई की ओर से रूट डायवर्जन न करने का निर्णय लिया गया है। नैनी से प्रयागराज आते समय आखिरी ज्वाइंट एक्सपेंशन की प्लेट जहां टूटी है, वहां सिर्फ ढाई मीटर का अस्थायी घेरा बनाकर मरम्मत कराई जाएगी। ताकि यातायात प्रभावित न होने पाए। हालांकि क्षतिग्रस्त हिस्से में बैरिकेडिंग लगाए जाने से वहा रास्ता संकरा हो गया है। इससे मिर्जापुर और रीवा रोड से आने वाले लोगों को जाम का सामना करना पड़ सकता है। वर्ष 2004 में नए यमुना पुल का निर्माण कराया गया था। 1.6 किमी लंबे पुल का निर्माण हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी और जर्मनी की हुंडई इंजीनियरिंग ने संयुक्त रूप से किया था। अफसरों के मुताबिक फोर लेन नया यमुना सेतु आधुनिक डिजाइन के कारण हर किसी को आकर्षित करता है। इसमें कंक्रीट से बने दो पिलर हैं, जो स्टील केबलों के सहारे इस पुल की छत को सहारा देते हैं। केबल के सहारे टिके इस पुल से मिर्जापुर, मध्य प्रदेश की ओर प्रतिदिन हजारों वाहन गुजरते हैं।
नए यमुना सेतु की मरम्मत का काम एक जून से शुरू करा दिया जाएगा। इसकी तैयारी कर ली गई है। इसमें तीन महीने से अधिक समय लग सकता है। बेयरिंग बदलने और नए एक्सपेंशन ज्वाइंट लगाने के साथ ही सेतु के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत पूरी कराकर बैरिकेडिंग हटा दी जाएगी। - पंकज मिश्र, क्षेत्रीय परियोजना निदेशक, एनएचएआई।