मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
क्षेत्र में मुस्लिम समाज द्वारा ईद-उल-जुहा ( बकरीद ) का पर्व गुरुवार को परंपरागत धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर ईद की नमाज सुबह साढ़े आठ बजे मस्जिदों में अता की गयी। मुस्लिम समुदाय ने नमाज के बाद देश में अमन चैन व तरक्की के लिए दुआ मांगी।मेजा खास स्थित जामा मस्जिद में मुस्लिम समाज ने नमाज अदा कर क्षेत्रवासियों को बकरीद की मुबारकवाद दी।मेजारोड मदीना मस्जिद के हाफिज इमाम अब्दुल कलाम ने बताया कि मुस्लिम समुदाय में दो त्यौहार बड़े माने जाते हैं। एक रमजान के बाद आने वाला ईद उल फितर व ईद उल अजा जो रमजान के 2 महीने10 दिन बाद आती है।यह कुर्बानी का दिन होता है।बकरीद का पर्व इस्लाम के बहुत बड़े पैगम्बर इब्राहिम व उनके बेटे इस्माइल की याद में मनाया जाता है। इमाम हाफिज अब्दुल कलाम ने बताया कि सुबह साढ़े आठ बजे मेजारोड स्थित मदीना मस्जिद में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नमाज अता की।क्षेत्र में सुख शांति में खुशहाली के लिए अमन चैन की दुआ मांगी। इसी क्रम में तेंदुआ मस्जिद के इमाम हाफिज मोहम्मद रागिद ने इमाम हाफिज अब्दुल कलाम ने कहा कि ईद उल अजहा बलिदान और संयम का दिन है। इस्लामी कैलेंडर के अंतिम माह जिलहिज्जा की दसवीं दसवीं तारीख को यह पर्व मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि कुर्बानी आत्मा को शुद्ध करने का एक उत्तम साधन है। उन्होंने कहा कि कुर्बानी में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दिखावे के लिए न हो। उन्होंने कहा कि हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे हजरत इस्माइल अलेही सलाम को कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे। अल्लाह को यह अदा काफी पसंद आई। इसके बाद सभी लोगों ने त्याग एवं समर्पण के प्रतीक स्वरूप के अनुसार बकरे की कुर्बानी दी गई। उसके बाद देर शाम तक कुर्बानियों का सिलसिला चलता रहा। सभी धर्मों के लोगों ने इस्लाम धर्मावलंबियों से गले मिलकर बधाई दी। घर-घर पकवान बने। एक दूसरे के घर जाकर लोगों ने पकवान भी बांटे। मौके पर प्रबंधक अरमान अली ने लोगों ने कहा कि ईद उल अजहा एकता का संदेश देता है एकता से बड़ी कोई दौलत नहीं है।कमेटी सदस्य नदीम अहमद ने बकरीद की क्षेत्र वासियों को मुबारकबाद दी है।