वर्षों से लगा चुके हैं सैकड़ों बार पंचायत सहित सभी विभागों के चक्कर
जवाली, पाली (अजय कुमार जैन)। राजस्थान सरकार बड़े-बड़े दावे पेश कर रही हैं, गरीबों की सरकार अपने आप को कह रही हैं, महंगाई राहत शिविर लगा रही है, मगर उसका फायदा गरीब विकलांग,दिव्यांग व जरूरतमंद को नहीं मिला है। ग्रामीण क्षेत्र में विकलांग, दिव्यांग, बुजुर्ग पेंशन धारी को अभी तक छत नहीं मिल पाई है, और ना ही खाद्य सुरक्षा वाले गेहूं मिल रहे हैं, वे महंगे भाव का बाजार से गेहूं लाकर खा रहे हैं, लोगों के घरों में किराए से रहते हुए दर-दर भटक रहे हैं। आज हम ऐसे 3 मानसिक विकलांग दिव्यांग व बुजुर्ग पेंशन धारियों की बात करते हैं।
जो कई वर्षों से पंचायत प्रशासन, शिविरों , जिला मुख्यालय से तहसील मुख्यालय के समस्त दफ्तरों के चक्कर काट चुके हैं, थक हार कर वे अपना माथा पकड़कर घर में बैठकर खून के आंसू बहा रहे हैं। मगर सरकारी दफ्तरों के अधिकारियों, राजनेताओं एवं सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार तो कागजी कार्रवाई से सरकारी योजनाओं की पूर्ति करने में लगी हुई है, मगर इसका लाभ ग्रामीण क्षेत्र के गरीबो को आज दिन तक नहीं पहुंच पा रहा है।
सरकार सिर्फ योजनाओं का ढिंढोरा पीट रही है, मगर उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में अपने कार्मिकों और अधिकारियों को भेजकर यह जानने की जरूरत ही नहीं समझी और ना ही कोई समीक्षा की गई है कि ग्रामीण क्षेत्र के अंदर गरीबों को लाभ मिल रहा है या नहीं मिल रहा है, एवं गरीब किस प्रकार से दुखी है। यह जानकारी सरकार ने जुटाने की कभी कोई कोशिश ही नहीं की है।और ना ही जरूरत समझी । आज हम ऐसे 3 लोगों की बात करते हैं जिनको सरकारी लाभ की सख्त जरूरत है ,और वे उन सरकारी योजनाओं के अंतर्गत आते भी हैं।
ये तीनों विकलांग, दिव्यांग एवं बुजुर्ग पेंशन धारी जिले की देसूरी उपखंड की ग्राम पंचायत मगरतलाव से कोलर गांव के मूल निवासी हैं । इनकी आज हम यहां बात करते हैं। प्रथम रमेश कुमार पुत्र ओगड़ राम , जाति ब्राह्मण ,उम्र 45 वर्ष जो मानसिक रूप से विकलांग है, यह अकेला सख्त है। इनके ना तो रहवासी मकान है, और ना ही खाद्य सुरक्षा से गेहूं मिलते हैं।
दूसरे विकलांग है सूर्य प्रकाश पुत्र ओगड़ राम जाति ब्राह्मण निवासी कोलर उम्र 40 वर्ष, यह शख्स दोनों हाथों और एक पैर से विकलांग एवं मानसिक रूप से भी विकलांग है, इसके पास भी रहने के लिए छत नहीं है। और ना ही खाद्य सुरक्षा से गेहूं मिलते हैं यह भी एकल राशन धारी है। तीसरे व्यक्ति है गोवर्धन लाल पुत्र पूनमचंद जाति ब्राह्मण उम्र 65 वर्ष, इनके भी रहने के लिए मकान नहीं है , खाद्य सुरक्षा से गेहूं नहीं मिलते हैं, ये अकेले ही गांव मे रहते हैं । यह तीनों ही व्यक्ति सिर्फ पेंशन पर ही निर्भर है, अन्य आय का कोई जरिया इन तीनों के पास नहीं है।
उक्त तीनों व्यक्ति कई बार सरकार से गुहार लगा चुके हैं, मगर आज दिन तक इनकी कोई सुध लेने वाला नहीं मिला है । सरकार योजनाओं के गारंटी कार्ड बांट रही है। लानत है ऐसी सरकार पर, जो गरीबों को कागजों के चक्कर में गुमराह कर रही हैं। सरकार उधर शिविर लगा रही है, इधर खाद्य सुरक्षा की ई मित्र पर साइड बंद पड़ी है,जब सभी काम ई मित्र से होते हैं तो फिर शिविर लगाने का क्या औचित्य है। ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों लोग खाद्य सुरक्षा, पेंशन, किसान सम्मान निधि योजना, आवास योजनाओं सहित कई सरकारी योजनाओं से वंचित है। मगर सरकार शिविर लगाकर कागजों से लोगों को गुमराह करने में लगी हुई है, सरकार को यह सोचना चाहिए कि अब सब लोग हर बात को समझते हैं कि क्या उचित है और क्या अनुचित है। सरकार अगर वास्तव में योजनाओं का लाभ और गरीबों की मदद ही करना चाहती हैं तो ग्राम पंचायत को निर्देशित करें कि प्रत्येक घर में जाकर यह जानकारी प्राप्त करें कि पात्र व्यक्ति सरकारी योजनाओं से वंचित तो नहीं है। सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्र से बुजुर्ग, गरीब व्यक्ति तहसील मुख्यालय तक जाने में आर्थिक और शारीरिक रूप से सक्षम नहीं है।