प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मिर्जापुर के पूर्व जिलाधिकारी अनुराग पटेल से व्यक्तिगत हलफनामा तलब कर पूछा है कि जानबूझकर आदेश की उपेक्षा करने के लिए क्यों न उन पर कार्यवाही की जाय। कोर्ट ने वर्तमान डीएम को भी 31 जुलाई को हाजिर होकर बताने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इनसे भी पूछा है कि गलत आदेश को सही क्यों मान रहे हैं? उन्हें अपनी गलती सुधार कर हलफनामा दाखिल करने की छूट भी दी है।
न्यायमूर्ति अजित कुमार की अदालत में पहुंचा यह प्रकरण एक सीजनल संग्रह चपरासी को नियमित करने से जुड़ा है। इस संबंध में रमाशंकर सिंह ने याचिका दाखिल की थी। इसे निस्तारित करते हुए कोर्ट ने कहा, याची से कनिष्ठ सीजनल संग्रह चपरासी को नियमित कर दिया गया।। याची को स्वतः नियमित कर देना चाहिए था, किंतु कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर बार-बार याची के दावे को निरस्त किया जाना न्याय की भ्रूण हत्या के समान है।
कोर्ट ने जिलाधिकारी को याची की सेवा नियमित करने पर विचार करने का आदेश दिया। इस पर तत्कालीन जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने रमाशंकर का दावा यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि याची रिटायर हो चुका है। सेवा में कनिष्ठ कर्मी को हाईकोर्ट के आदेश पर नियमित किया गया है, वह भी अवमानना याचिका के आदेश के पालन में।
कोर्ट ने इस आदेश पर नाराजगी जताई और कहा कि जिलाधिकारी ने बार-बार याची का दावा अनुचित तरीके से निरस्त कर उसे केस लड़ने के लिए विवश किया। हाईकोर्ट पर अनावश्यक मुकद्दमों का बोझ डाला। याचिका में 1976 से सीजनल संग्रह चपरासी पद पर कार्यरत याची ने अपने जूनियर के नियमित करने के समय (1990) से नियमित करने की मांग की थी।
कोर्ट ने दो बार डीएम को विचार करने का निर्देश दिया, किंतु एसडीएम की रिपोर्ट पर विवेक का इस्तेमाल किए बगैर जिलाधिकारी ने याची का दावा खारिज कर दिया। उसे फिर तीसरी बार हाईकोर्ट आना पड़ा। कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रमुख सचिव गृह को इस आशय से भेजने का आदेश दिया कि पटेल का स्पष्टीकरण दाखिल होना सुनिश्चित हो सके।