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भागवत कथा के तीसरे दिन श्रोताओं ने ध्रुव चरित्र,भक्त प्रह्लाद और नरसिंह अवतार के रोचक प्रसंग का रसपान किया


 


मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)

क्षेत्र के गुनई गहरपुर गांव में दुबे परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा सुनाते हुए कथा वाचक पहड़ी महादेव के पुजारी आचार्य बृजबिहारी दास जी महाराज ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे हैं वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान न हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों न हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा।कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। 

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भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया। साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नरसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की।कथा व्यास ने बताया कि चौथे दिन की कथा में श्रीकृष्ण जन्म, नरक की संख्या और एकादशी व्रत के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।कथा का आयोजन स्व.प्रेमसागर और स्व.कृष्ण सागर के श्राद्ध के उपलक्ष्य में किया गया है।अंत में मुख्य आयोजक श्रीमती अनारकली पत्नी स्व.प्रेमसागर, श्रीमती जय देवी पत्नी स्व.करुणा सागर दुबे और विद्यासागर दुबे सपत्नीक द्वारा आरती के बाद प्रसाद वितरण हुआ। कथा के दौरान भजन गायक शिवम तिवारी, तबले पर पवन गर्ग और हर्ष त्रिपाठी ने भजनों की प्रस्तुति दी।आचार्य संजय कुमार शास्त्री और आचार्य अजय पौराणिक ने विधि विधान से पूजन कराया।कथा में अनिल,सुनील,कुलदीप,धीरज,शिवम,उत्सव,सत्यम तिवारी,रमेश चंद्र,शुभम,कमलाकांत और ऋषभ का योगदान सराहनीय रहा।इस मौके पर प्रमुख रूप से राजेंद्र प्रसाद तिवारी,मंगला तिवारी,लालबली दुबे,बीरेंद्र यादव,रामजी तिवारी,संजय तिवारी,संजय पाठक सहित भारी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

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