दरअसल, अमेरिका के धावक नोआह लायल्स ने इस चौंपियनशिप में 100 मीटर रेस में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है..
अमेरिका। इन दिनों बुडापेस्ट में वर्ल्ड एथलेटिक्स चौंपियनशिप का आयोजन हो रहा है। वहीं इस चौंपियनशिप में दुनिया को नया उसेन बोल्ट मिल गया है। दरअसल, अमेरिका के धावक नोआह लायल्स ने इस चौंपियनशिप में 100 मीटर रेस में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। लायल्स ने 9.83 सेंकड में ये रेस पूरी की।
अब नोआह की नजर उसेन बोल्ट के रिकॉर्ड पर है। बोल्ट साल 2017 में रिटायर हो चुके हैं। वहीं अमेरिका के इस धावक ने पुरुष वर्ग में 100 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता। दूसरे नंबर पर बोस्तावना के लेट्सइले टेबोगो रहे, जिन्होंने 9.88 सेकंड का समय निकाला जबकि तीसरे नंबर पर ब्रिटेन के झारनेल ह्यूज 9.88 सेंकड के समय निकालने के साथ रहे।
बता दें कि, नोआह लायल्स का वर्ल्ड एथलेटिक्स चौंपियनशिप में 3 गोल्ड मेडल जीतने का टारगेट है। पहला गोल्ड जीतने के बाद उन्होंने कहा कि, मैं अपनी रफ्तार सुनिश्चित करना चाहता हूं। 100 मीटर की रेस में कई बार हार का सामना कर चुका हूं। अमेरिकी ट्रायल्स में कांस्य पदक जीता था। लोग मुझे कम आंक रहे थे। मैं यहां 3 गोल्ड मेडल जीतने का लक्ष्य लेकर आया हूं एक तो जीत लिया बाकी आ रहे हैं।
18 जुलाई 1997 को अमेरिका के फ्लोरिडा में जन्में नोआह लायल्स को बचपन में सांस लेने में दिक्कत होती थी। वो गंभीर खांसी की बीमारी से पीड़ित थे। इसके लिए उनको अस्पताल में भी भर्ती कराना पड़ा था। लायल्स ने तनददमतेचंबम.बवउ को बताया कि मुझे वो दिन याद है, जब मैं इतना ही सुनता था। मेरी मां आती थीं और हमारी रातें लंबी-लंबी होती थीं। क्योंकि मैं सो नहीं पाता था। उस समय मैं महज 4 साल का था। मुझे याद है कि आधी रात को मुझे सांस लेने में बड़ी कठिनाई होती थी तो मुझे डॉक्टर के पास जाना पड़ता था। नोआह ने अपनी मां के बलिदान को याद करते हुए बताया कि, उन्होंने उनके पिता से तलाक के बाद दो भाई बहनों की देखभाल की।
नोआह लायल्स अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से ग्रस्त थे। जिससे ठीक होने में उनकी मां ने ही उनकी मदद की। उनकी मां ने उन्हें ड्राइंग पर फोकस करने की सलाह थी। नोआह ने भी अपनी मां की बात मानी और ड्राइंग पर ध्यान दिया जिससे वो शांत रहते थे। इसके बाद उन्होंने अपना सारा फोकस खुद को ट्रैक स्टार बनाने पर किया।
यही नहीं नोआह ने बताया कि कई बार उनके घर की बिजली काट दी जाती थी। बचपन में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा कई बार तो ऐसा भी होता था कि बचा हुआ खाना खाना पड़ता था। उनकी मां उनका और उनके भाई बहनों का भरण पोषण करने के लिए काफी मेहनत भी करती थीं।
महज 17 साल की उम्र में नोआह ने यूथ ओलंपिक गेम्स में अपना दम दिखाया। उन्होंने 200 मीटर की रेस में गोल्ड अपने नाम किया। इशके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। साल 2016 में उन्होंने यूएसए जूनियर चौंपियनशिप में 100 मीटर और 200 मीटर का खिताब अपने नाम किया। नोआह के शानदार खेल की बदौलत ही उनको गेटोरेड नेशनल ब्वॉयज ट्रैक एंड फील्ड एथलीट ऑफ द ईयर से नवाजा गया।