प्रतापगढ़ (राजेश सिंह)। पिछले दिनों पारिवारिक विवाद के चलते चर्चा में रहे कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक बार फिर सुर्खियों में हैं। वर्ष 2013 में हथिगवां के बलीपुर में तत्कालीन सीओ जिया उल हक की गोली मारकर हत्या के मामले मेें सुप्रीम कोर्ट ने उनकी भूमिका की फिर से जांच के आदेश दिए हैं।
बलीपुर में 2 मार्च 2013 को तीन लोगों की हत्या हुई थी। सीओ जिया उल हक बलीपुर प्रधान नन्हे यादव व उसके भाई सुरेश यादव की हत्या के बाद हुए बवाल पर घटनास्थल पर पहुंचे। कुंडा कोतवाल सर्वेश मिश्रा, एसएसआई विनय उन्हें अकेला छोड़कर भाग निकले, जिसके बाद सीओ की बेरहमी से पिटाई के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
घटना ने देश की सियासत में भूचाल ला दिया था। इस मामले में जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने तत्कालीन खाद्य एवं रसद मंत्री रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया समेत अन्य के खिलाफ हत्या की साजिश रचने और हत्या का केस दर्ज कराया था। इसके बाद राजा भैया को अखिलेश सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
हालांकि, क्लीन चिट मिलने के बाद अक्तूबर 2013 को फिर अखिलेश मंत्रिमंडल में शामिल हो गए थे। तिहरे हत्याकांड की जांच पहले पुलिस और बाद में सीबीआई द्वारा की गई थी। जांच के बाद रघुराज प्रताप को क्लीन चिट मिल गई थी। इसके खिलाफ परवीन आजाद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
तिहरे हत्याकांड में चार एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। एक एफआईआर प्रधान नन्हे यादव की हत्या की थी। दूसरी एफआईआर पुलिस पर हमले की थी। तीसरी एफआईआर नन्हे यादव के भाई सुरेश यादव के हत्या की और चौथी एफआईआर सीओ जिया उल हक के हत्या की थी। तत्कालीन थानाध्यक्ष मनोज शुक्ला की तरफ से प्रधान नन्हें यादव के भाइयों और बेटों समेत 10 लोगों को नामजद किया गया। इसमें राजा भैया के प्रतिनिधि हरिओम शंकर श्रीवास्तव, चेयरमैन गुलशन यादव, राजा भैया के चालक रोहित सिंह और गुड्डू सिंह भी शामिल थे। सीबीआई ने राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दे दी। राजा भैया को पॉलीग्राफ टेस्ट से भी गुजरना पड़ा था।
मेरा बेटा पढ़ने में होनहार था। चौक-चौराहे के स्कूल से पढ़ाई करने के बाद जब नौकरी मिली तो आस जगी कि परिवार की मुश्किलें खत्म हो जाएंगी। पर बेटे की हत्या के बाद परिवार बर्बाद हो गया। रात को सोता हूं तो उसका चेहरा याद आता है। दस साल बाद भी उसके कातिलों को अभी तक सजा नहीं हुई, इसका मुझे मलाल है। जीते जी बेटे के कातिल को सजा हो जाए, यही मेरी आखिरी ख्वाहिश है। यह दर्द खुखुंदू थाना क्षेत्र के जुआफर गांव निवासी जियाउल हक के पिता शमशुल हक का है।
उन्होंने कहा कि कुंडा की घटना में रघुराज प्रताप सिंह का हाथ है, हमें यह पूरा यकीन है। निष्पक्ष जांच कर आरोपपत्र दाखिल हो और आरोपियों को सजा मिले। वर्तमान में सीओ के माता-पिता की जिम्मेदारी उनके दूसरे बेटे शोहराब अली पर है, जो गोरखपुर एडीजी ऑफिस में तैनात हैं। अब स्पेशल मजिस्ट्रेट सीबीआई लखनऊ की अदालत में फिर से राजा भैया सहित अन्य पर दर्ज केस की विवेचना सीबीआई करेगी।